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एपऩसोड शीषषक : फाढ़ की पवबीपषका येडडमो धायावाहहक : 09

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एपऩसोड शीषषक : फाढ़ की पवबीपषका येडडमो धायावाहहक : 09
ये डडमो धायावाहहक : 09
एपऩसोड शीषषक : फाढ़ की पवबीपषका
अवधध : 27 मभनट
सभन्वमक :
श्री फी. के. त्मागी
स्क्रिप्ट : कौरतुब चौधयी
अनुवाद : श्रीननवास ओरी
ऩात्र ऩरयचम
1- भीना – ग्मायहवीीं कऺा की छात्रा (17 वषष)
2- याकेश – कऺा आठ का छात्र (14 वषष)
3- कपऩर – भीना व याकेश के पऩता (45 वषष)
4- सभ
ु न – कपऩर की ऩत्नी (40 वषष)
5- प्रोपेसय – अधेड़ ऩरु
ु ष (55 वषष)
6- पववेक औय नये श – कॉरेज के छात्र
7- श्रेमा औय श्रनु त – कॉरेज की छात्राएीं
8- पवधामक – अधेड़ ऩुरूष (55 वषष)
9- पवजम – इींजीननमय (40 वषष)
10- केशव – तीस वषीम मुवक (डामरॉग ससपष पोन ऩय हैं)
11- इकराफ, यभेश, सतीश – ग्राभीण (30-35 वषष)
12- सुयेश – एनडीआयप का जवान (30 वषष)
13- सीता – ग्राभीण भहहरा (28 वषष)
14- डॉक्टय – अधेड़ ऩुरुष (55)
15- कैंऩ अपसय – अधेड़ ऩुरुष (55 वषष)
16- ऩीमूष – फायहवीीं कऺा का छात्र (18 वषष)
SIGNATURE TUNE …………………… FADE OUT
उद्घोषक : (Welcome + Recap + Intro) । श्रोताओीं नभस्काय। ये डडमो पवऻान धायावाहहक.... भें
आऩका एक फाय फपय से स्वागत है । आज की इस कड़ी भें हभ फात कयें गें ऩानी से उऩजी एक
ऐसी आऩदा जो हय सार तफाही की एक फड़ी वजह फनती है ...। जी हाीं हभ फात कय यहे हैं फाढ़
की। फाढ़ की वजह औय उसके ददष नाक असय को भहसस
ू कयने के सरए चरते हैं भीना औय
याकेश के गाींव भें .. जो इस वक्त फाढ़ की त्रासदी झेरने को भजफयू है ।
-------------------SIGNATURE TUNE--------------------SCENE ONE - (फाढ़ का दृश्म / उपनती नदी का शोय / तेज फारयश औय बफजरी कड़कने की
आवाज़ / फाढ़ की अपयातपयी भें बमबीत रोगों का शोय)
ग्राभीणों का सभवेत रवय : (घफयाई हुई आवाज़) बागो... बागो... ऩानी कापी तेजी से फढ़ यहा
है ...।
भीना : हे बगवान...। हय जगह ऩानी ही ऩानी है... घय के चायों ओय बी ऩानी नजय आने रगा
है ।
याकेश : दे खो दीदी..। आींधी तूपान भें हभायी इस झोऩड़ी की छत का फड़ा हहस्सा बी उड़ गमा
है । घय की कभजोय दीवायें बी काींऩ यही हैं।
भीना : ओह... इतनी भस
ू राधाय फारयश तो भैंने आज तक नहीीं दे खी। भाीं कहाीं हैं याकेश।
याकेश : भाीं तो साभान सभेट यही हैं। शामद हभें महाीं से जाना होगा।
भीना : औय पऩताजी ?
याकेश : वो तो नदी के हार दे खने के सरए फाहय गमे थे...। अये .. दे खो पऩताजी वाऩस आ यहे
हैं। कापी ऩये शान बी नजय आ यहे हैं।
(तेज ऩदचाऩ... कयीफ आते हुए)
कपऩर : (जल्दफाजी के रवय भें ) भीना... याकेश... तुम्हायी भाीं कहाीं हैं ? हभें जल्द ही इस जगह
को छोड़ना होगा।
सुभन : भैं महाीं हूीं..। नदी की क्मा स्स्थनत है ?
कपऩर : हारात तो फेहद खयाफ हैं सभ
ु न। कोसी नदी ऩयू े ऊपान भें है । तटफींध टूटने रगे हैं।
ऩानी हभाये गाींव भें बी घस
ु आमा है ।
सभ
ु न : हे बगवान..। अफ हभ क्मा कयें गे।
कपऩर : हय कोई इस जगह को छोड़ने की जल्दी भें है । इस्भाइर, पवपऩन औय सयु े श के घय
नदी भें सभा गमे हैं। गाींव के तभाभ ऩशु बी फाढ़ के ऩानी भें फह गमे हैं। फस मींू सभझ रो फक
हभाये ऩास बी अफ ज्मादा वक्त नहीीं फचा है ।
याकेश : (घफयाते हुए... ऊंची आवाज भें ) पऩताजी... पऩताजी... ऩानी हभाये घय की ओय आ यहा
है ...।
कपऩर : हाीं फेटा...। ऩानी तो कापी तेजी से आ यहा है । सभ
ु न... जल्दी कयो..(धचल्राते हुए)
हभको इसी वक्त महाीं से फाहय ननकरना होगा।
सभ
ु न : हाीं... हाीं...। भैंने बी अऩने हहसाफ से तैमायी कय री है । कुछ जरूयी कऩड़ों को प्रास्स्टक
की शीट भें रऩेट सरमा है ..। साथ भें रुऩमे बी प्रास्स्टक की थैरी भें सयु क्षऺत यख सरए हैं।
कपऩर : हाीं.. मे ठीक है। (धचल्राते हुए... घफयाई हुई आवाज़) वो दे खो.. ऩानी बी रगाताय फढ़ते
जा यहा है ।
भीना : रेफकन पऩताजी... फारयश बी तो कापी तेज हो यही है । ऐसे भें तो हभ बीग जाएींगे।
कपऩर : इसकी चचींता भत कयो भीना। प्रास्स्टक की इस शीट से खुद को ढक रो औय अऩने
बाई का हाथ ऩकड़कय आओ... चरो.. जल्दी कयो।
(तेज़ फारयश / तूपान / बफजरी कड़कने की आवाज... धीये – धीये भंद ऩड़ती हुई)
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE TWO
सत्र
ू धाय : हभाये दे श भें नहदमों की अच्छी-खासी तादाद है । ज्मादातय इराका फकसी ना फकसी नदी
के आसऩास जरूय ऩड़ता है । ऐसे भें हय सार दे श को फाढ़ का दीं श बी झेरना ऩड़ता है । हय सार
जानभार का खासा नक
ु सान होता है औय खेती मोग्म हजायों एकड़ जभीन नहदमों की बें ट चढ़
जाती है । हाराींफक सयकाय की ओय से फाढ़ की योकथाभ के सरए कई कोसशशें की गई हैं, फपय बी
फाढ़ की आशींका वारे ऺेत्रों भें रोगों के दख
ु -ददष की कोई सीभा नहीीं है ।
(कॉरेज भें बूगोर की कऺा का दृश्म / कऺा का साभान्म शोय सुनाई दे यहा है )
प्रोपेसय : शाींत हो जाइमे सबी रोग.... शाींत हो जाइमे।
(भेज ऩय डरटय ऩटकने की आवाज)
प्रोपेसय : दे खखमे... हभ पऩछरे रेक्चय की फात को ही आज आगे फढ़ाते हैं। हभ रोग बायत भें
आने वारी फाढ़ ऩय चचाष कय यहे थे। श्रेमा.. आऩ आऩ फताइमे.. फक फाढ़ क्मों आती है ?
श्रेमा : (रुक-रुक कय फोरते हुए) सय.. एक वजह तो है फक.. फहुत ज्मादा फारयश... तूपान...
चक्रवात... औय...।
प्रोपेसय : ठीक है .. ठीक है ..। आऩ फैठ जाइमे। पववेक आऩ जया इन कायणों को पवस्ताय से
फताइमे।
पववेक : जी सय...। फहुत ज्मादा फारयश से नहदमों का जरस्तय फढ़ जाता है । इस वजह से
नहदमों के फकनायों ऩय कापी ज्मादा दफाव फनने रगता है । ऐसे भें कभजोय तटफींधों को तोड़ता
हुआ ऩानी गावों औय शहयों भें घस
ु आता है ।
प्रोपेसय : फहुत अच्छा। क्मा आऩ इसके कुछ उदाहयण बी दे सकते हो।
पववेक : सय, मे स्स्थनत तो नदी के फकसी बी फकनाये ऩय.. कहीीं बी हो सकती है ।
प्रोपेसय : मे तो ठीक है ... रेफकन कुछ याज्मों भें दस
ू ये ऺेत्रों की तर
ु ना भें ज्मादा फाढ़ आती है ।
क्मा आऩ उनका नाभ फता सकते हो ?
पववेक : (अटकते हुए) जी... बफहाय... असभ...
प्रोपेसय : कोई औय फता सकते हैं आऩ रोगों भें से ?
नये श : सय, भैं फताऊीं क्मा ?
प्रोपेसय : हाीं, नये श। आऩ फताइमे।
नये श : सय, बायत के उत्तयी औय उत्तय ऩूवी याज्मों की जो नहदमाीं हहभारम से ननकरती हैं
उनभें फाढ़ का ज्मादा खतया यहता है। फाढ़ की आशींका वारे इराकों भें खास तौय से जम्भूकश्भीय, ऩींजाफ, उत्तय प्रदे श, असभ, बफहाय औय झायखींड शासभर हैं।
श्रेमा : रेफकन नये श, आऩने तो ऩस्श्चभ फींगार को छोड़ ही हदमा।
प्रोपेसय : बफल्कुर सही श्रेमा। वास्तव भें ऩस्श्चभ फींगार तो हभाये दे श के सवाषचधक फाढ़
प्रबापवत याज्मों भें से एक है ।
पववेक : सय, रेफकन वहाीं ऐसा क्मा है ?
प्रोपेसय : दयअसर इसकी वजह ऩस्श्चभ फींगार की अऩनी पवशेष बौगोसरक स्स्थनत है । ऩस्श्चभ
फींगार बायत का इकरौता ऐसा याज्म है जहाीं हहभारमी श्रींखरा के ऩहाड़ बी हैं औय सभुद्री तट
बी है । ऩस्श्चभ फींगार का उत्तयी ऺेत्र हहभारमी नहदमों की वजह से फाढ़ की चऩेट भें यहता है ।
दक्षऺणी बाग गींगा के डेल्टा औय भशहूय सुींदयवन से नघया हुआ है स्जसभें गींगा औय कई ज्वायीम
जरधायाओीं का जार सा बफछा है । मही वजह है फक महाीं ज्वाय औय फारयश.. दोनों ही वजहों से
फाढ़ का खतया यहता है ।
श्रेमा : सय, प्रीज़ आऩ हभें कुछ ज्वायीम नहदमों के नाभ फताइमे ना।
प्रोपेसय : हाीं... हाीं... क्मों नहीीं। भाल्टा (Matla), चेया भाल्टा (Chera Matla), हीयोबींगा
(Herobhanga) औय भयीगींगा (Muriganga) कुछ प्रभुख ज्वायीम नहदमों के नाभ हैं। पववेक, क्मा
आऩ कुछ ऐसी नहदमों के नाभ फता सकते हैं जो फक हहभारम भें ग्रेसशमयों से ननकरती हैं औय
फाढ़ का कायण फनती हैं।
पववेक : (हहचककचाते हुए) जी... हहभारम के ग्रेसशमयों से...
प्रोपेसय : कोई स्टूडेंट है जो इस सवार का जवाफ दे सकता है ?
श्रनु त : जी सय, भैं फताऊ ?
प्रोपेसय : हाीं श्रनु त, फताओ।
श्रनु त : (एक सांस भें तेज-तेज फोरते हुए) गींगा, मभन
ु ा, ब्रह्भऩत्र
ु , भहानींदा, सतरज
ु , ब्मास,
झेरभ, कोसी, घाघया, गींडक...।
प्रोपेसय : ठीक है ... श्रनु त.... फहुत फहढ़मा...।
नये श : सय, उत्तय बायत की नहदमों की फात तो हो गई। भध्म बायत औय दक्षऺणी बायत की
नहदमों के फाये भें बी कुछ फताइमे ना प्रीज़।
प्रोपेसय : मे सही भसरा उठामा नये श आऩने। दक्षऺण औय भध्म बायत की कई नहदमाीं फाढ़ के
सरए फदनाभ यही हैं। इनभें सोन, भहानदी, वैतरयणी, कृष्णा, कावेयी औय गोदावयी सभेत कई
नहदमाीं शासभर हैं।
श्रेमा : सय, क्मा केवर बायी वषाष ही फाढ़ की इकरौती वजह है ?
प्रोपेसय : नहीीं श्रेमा। दस
ू ये बी कई कायण हैं जो फाढ़ की वजह फनते हैं। सभुद्र तटीम इराकों भें
बूकींऩ बी सुनाभी औय फाढ़ की वजह फनते हैं जैसा फक सन दो हजाय चाय (2004) भें हो चक
ु ा
है । सन दो हजाय तेयह (2013) भें उत्तयाखींड भें चोयाफाड़ी ग्रेसशमय के पऩघरने औय फादर पटने
से बायी तफाही हुई थी।
पववेक : सय, भैंने कहीीं ऩढ़ा था फक सन दो हजाय तेयह भें उत्तयाखींड भें आई फाढ़ एक फ्रैश
फ्रड (flash flood) थी।
प्रोपेसय : मह सही फात है पववेक। फ्रैश फ्रड (flash flood) के दौयान छोटी औय सींकयी
घाहटमों भें फड़ी तादाद भें ऩानी तेजी से ननचरे इराकों भें फहने रगता है । ऐसा आभतौय से
ऩहाड़ी ऺेत्रों भें ढरानों भें होता है । हहभारमी याज्मों जैसे फक हहभाचर, जम्भू-कश्भीय औय
उत्तयाखींड सभेत उत्तय ऩव
ू ी याज्मों भें अक्सय फ्रैश फ्रड (flash flood) का खतया यहता है ।
श्रनु त : सय, क्मा कबी ऐसी फाढ़ बी आती है जो फक कुदयती ना हो ?
प्रोपेसय : हाीं.. हाीं... बफल्कुर । कबी-कबी ऐसा बी होता है । फाींधों औय फैयाज की सुयऺा के सरए
कई फाय फढ़े हुए ऩानी को छोड़ना भजफूयी हो जाता है । इस ऩानी की वजह से आसऩास के गाींव
औय खेत ऩानी भें डूफ जाते हैं। इस तयह ऩैदा हुए फाढ़ के हारात कुदयती वजहों से नहीीं फस्ल्क
इींसानी होते हैं। सन दो हजाय ऩींद्रह भें ऩस्श्चभ फींगार भें आई फाढ़ बी इसी तयह की थी।
नये श : सय, आऩने फतामा फक सन दो हजाय तेयह भें उत्तयाखींड भें आई फाढ़ की वजह फादर
का पटना था, रेफकन भैंने कुछ जगह ऩढ़ा है फक मे स्स्थनत इींसानी वजहों से ऩैदा हुई।
प्रोपेसय : बफल्कुर सही नये श। मे फहुत ही अहभ भसरा है । मे सच है फक उत्तयाखींड भें आई उस
तफाही की तात्कासरक वजह फादर का पटना थी.. रेफकन उसके भर
ू भें दस
ू ये कई कायण यहे हैं।
केदायनाथ के इराके भें ऩारयस्स्थनतक तींत्र कापी बफगड़ गमा था। वहाीं ऩमषटन भें कापी तेजी आने
की वजह से पवकास का फेकाफू रूऩ नजय आने रगा था। सींवेदनशीर इराकों भें तभाभ जर-
पवद्मत
ु ऩरयमोजनाओीं के साथ-साथ फहुभींस्जरी इभायतों औय फड़े-फड़े होटरों के ननभाषण ने हारात
को औय बफगाड़ हदमा था। मही वजह थी फक तेज फारयश के दौयान भरफे को ननकासी का कोई
यास्ता ही नहीीं सभरा। नतीजा मह यहा फक तभाभ होटर, भकान औय गाींव कई फपट भरफे के ढे य
भें दपन हो गमे।
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE THREE
सूत्रधाय : फाढ़ कुदयती वजहों से आमे मा फपय इींसानी गनतपवचधमों के कायण... इसका ददष तो
ऩीडड़तों तो झेरना ही ऩड़ता है । सयकायें फाढ़ से ननऩटने के सरए तभाभ इींतजाभ कयती हैं, फैयाज
औय तटफींध फनामे जाते हैं। फाढ़ के दौयान याहत सशपवयों के जरयमे भदद की जाती है ।
अत्माधनु नक चेतावनी प्रणासरमों के जरयमे नुकसान को कभ कयने की कोसशशें बी जायी हैं।
(फांध ननमंत्रण केंद्र का दृश्म / भशीनों का शोय / रोगों की साभान्म फातचीत)
पवजम : (कुछ हड़फड़ी के साथ) सफ काभ ठीक चर यहा है ना...? फस कुछ ही दे य भें पवधामक
साहफ महाीं ऩहुींचने वारे हैं। (ऩदचाऩ कयीफ आती हुई) रगता है वो आ ही गए।
(ऩदचाऩ औय कयीफ से सुनाई दे ती है )
पवजम : नभस्काय सय.... आइमे... आइमे... फैहठमे।
पवधामक : पवजम जी, भझ
ु े आऩके साथ कुछ जरूयी फात कयनी है । मे दे खो... (कागज ऩरटने
की आवाज़)
पवजम : क्मा है सय मे ? ओह... मे तो भौसभ पवबाग की रयऩोटष है ।
पवधामक : हाीं, मे आज सफ
ु ह ही भझ
ु े सभरी है । क्मा कह यही है मे रयऩोटष ?
पवजम : (धीये -धीये ऩढ़ने के अंदाज भें ) बफहाय औय उड़ीसा के आसऩास तेज दवाफ का केंद्र फन
यहा है । इस सभच
ू े इराके भें तेज फारयश की आशींका है ...(कुछ धचंनतत रवय भें ) सय, रयऩोटष भें तो
हभाया मे इराका बी हदखामा गमा है ।
पवधामक : हाीं, मही तो चचींता की फात है । आऩ तो दे ख ही यहे हैं फक कई जगह हल्की फारयश
शुरू बी हो चक
ु ी है ।
पवजम : मे तो कापी चचींता की फात है । इस इराके के तभाभ ताराफ ऩहरे से ही रफारफ बये
ऩड़े हैं। अफ औय फारयश का भतरफ है फक ...
(फात को फीच भें काटते हुए)
पवधामक : अफ औय फारयश का भतरफ है फक शहय के ऩास के भुख्म जराशम की दीवायें इस
दवाफ को सहन कय बी सकेंगी मा नहीीं ?
पवजम : सय, इसी फात को रेकय तो भैं बी चचींता भें हूीं। दीवायें औय फैयाज के पाटक ऩहरे से ही
कापी साया दफाव झेर यहे हैं। मे दफाव औय फढ़ा तो हारात फेकाफू हो जाएींगे।
पवधामक (कुछ सख्त रवय भें ) : इींजीननमय पवजम ... आऩ क्मा कह यहे हैं, आऩ जानते हैं ना?
पवजम : जी, रेफकन हकीकत बी तो मही है सय।
पवधामक : (धचंता बये रवय भें ) तो अफ हभ क्मा कयें गे।
पवजम : अफ तो हभाये ऩास फस एक ही यास्ता है । हभें फैयाज के पाटक खोरने होंगे।
पवधामक : हे बगवान...। पाटक खोरने का भतरफ है फक आसऩास के गाींवों भें फाढ़...तफ तो
कापी नक
ु सान हो जाएगा... हे बगवान... क्मा होगा अफ...।
पवजम : सय, ऩये शान भत होइमे...। सफ ठीक हो जाएगा।
पवधामक : (धीभे रवय भें ) ठीक है ... हभ रोगों को जल्द ही सयकाय के नुभाइींदों के साथ एक
आऩात फैठक कयनी होगी। फैयाज के गेट खोरने से ऩहरे सबी रोगों तक इसकी जानकायी
ऩहुींचाना हभायी स्जम्भेदायी है ।
(पोन की घंटी फजने की आवाज़)
पवधामक : हे रो... कौन... हाीं हाीं... फताइमे इींजीननमय केशव जी।
केशव (पोन के दस
ू ये छोय ऩय ) : सय, महाीं हारात कापी गींबीय होते जा यहे हैं। ऩानी का दफाव
फढ़ने की वजह से फैयाज के गेट काींऩने रगे हैं। भुझे डय है फक कहीीं मे टूट ना जाएीं।
पवधामक : (चौंकते हुए) ओह... ऐसा है क्मा ?
केशव (पोन ऩय आती आवाज) : जी सय। भैं अबी भौके ऩय ही हूीं। ऩानी रगाताय फढ़ता जा यहा
है । तटफींधों की ऩूयी ऊींचाई तक ऩानी बय चक
ु ा है । हभें जल्द ही एक फैयाज का एक पाटक
खोरना होगा।
पवधामक : (हड़फड़ी बये रवयभें ) ठीक है ... रेफकन जया रुको...। अबी इींजीननमय पवजम बी भेये
साथ ही हैं। भैं उनसे बी फात कय रेता हूीं।
पवजम : क्मा हुआ सय।
पवधामक : वही हो यहा है स्जसका हभको डय था। इींजीननमय केशव थे पोन ऩय। उन्होंने फतामा
है फक मही हारात यहे तो फैयाज के पाटक कहीीं टूट ना जाएीं। हभाये ऩास उनको खोरने के
अरावा औय कोई दस
ू या यास्ता नहीीं है ।
पवजम : सय, हभें जल्द ही एक आऩात फैठक फुरानी होगी।
पवधामक : वो तो ठीक है रेफकन...
पवजम : रेफकन ... क्मा सय ?
पवधामक : पाटक खोरने का नतीजा तो आऩ जानते ही हैं ना इींजीननमय पवजम। ननचरे इराकों
भें फाढ़ का ऩानी बय जाएगा। जानभार का फकतना नक
ु सान होगा, इसका अींदाजा है आऩको ?
पऩछरी फाय की फाढ़ भें भैंने क्मा दे खा, भारभ
ू है आऩको ?
पवजम : क्मा सय ?
पवधामक : ऩानी की तेज धाय भें एक फच्चा फहा जा यहा था.. . औय उसे फचाने के सरए उसकी
भाीं ऩानी भें कूद ऩड़ी थी।
पवजम : ओह... फपय क्मा हुआ सय ?
पवधामक : (रुं आसे रवय भें ) फपय क्मा होना था। दोनों दयू तक फहते ही यहे । भेये कानों भें उनकी
वो ददष नाक चीख अफ तक गींज
ू ती यहती है । वो हारात… एक फयु े सऩने की तयह भेये हदरो-हदभाग
भें अफ तक दजष हैं।
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE FOUR
(सामयन की आवाज़ / भशीनों का शोय / इंजीननमय पवजम फैयाज के गेट खोरने का आदे श दे ते हैं,
उसके साथ ही फैयाज के पाटक खर
ु ने, रोहे की चेन के यघड़ने की आवाज सुनाई दे ती है , फैयाज
का पाटक खोरने के साथ ही ऩानी के जफयदरत फहाफ का शोय सुनाई दे ता है )
सामयन की आवाज....
पवजम : (धचल्राते हुए) गेट नींफय एक को खोरो...
(गेट खुरने की आवाज़ औय ऩानी के जफयदरत तेज फहाव का शोय)
पवजम : (चचल्राते हुए) गेट नींफय दो को खोरो...
(गेट खर
ु ने की आवाज़ औय ऩानी के जफयदस्त तेज फहाव का शोय)
पवजम : (चचल्राते हुए) गेट नींफय तीन को खोरो...
(गेट खर
ु ने की आवाज़ औय ऩानी के जफयदस्त तेज फहाव का शोय)
पवजम : (चचल्राते हुए) गेट नींफय चाय को बी खोर दो...।
(गेट खर
ु ने की आवाज़ औय ऩानी के जफयदस्त तेज फहाव का शोय)
पवजम : (चचल्राते हुए) जल्दी कीस्जए... जल्दी से गेट नींफय ऩाींच को खोरो...
(गेट खुरने की आवाज़ औय ऩानी के जफयदरत तेज फहाव का शोय... धीये -धीये भंद ऩड़ता हुआ)
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE FIVE
(फाढ़ का दृश्म / गांव भें फाढ़ का ऩानी बया हुआ है / तेज फहते हुए ऩानी की आवाज़ के साथसाथ बमबीत रोगों का शोय सुनाई दे यहा है )
इकफार : (धचल्राते हुए) हभाये घय खत्भ हो चक
ु े हैं... ऩूयी खेती तफाह हो गई है ...मा खद
ु ा....
अफ हभ क्मा कयें गे... कहाीं जाएीं हभ।
यभेश : बगवान हभायी भदद कयो...। हय जगह ऩानी ही ऩानी है । क्मा खाएींगे अफ हभ।
सतीश : (योते हुए) भेये तो साये जानवय इस फाढ़ भें फह गमे...। क्मा करूीं अफ।
यभेश : अये ... वो दे खो। कुछ वदीधायी रोग हभायी ओय ही आ यहे हैं।
इकफार : कहीीं वो ऩसु रस वारे तो नहीीं ?
सतीश : नहीीं .. नहीीं। दे खो उनके ऩास तो फहुत सायी चीजें हैं। यस्स्समाीं... जार... औय
प्रास्स्टक की शीट बी।
यभेश : वो सेना के रोग बी हो सकते हैं।
(कुछ रोगों की ऩदचाऩ... कयीफ आती हुई)
इकराफ : (डयते हुए) कौन हैं आऩ रोग ?
सुयेश : भैं सुयेश हूीं.. औय मे सबी भेये साथी हैं। आऩने एनडीआयप (NDRF) के फाये भें सुना
होगा। हभ रोग एनडीआयप के जवान हैं।
यभेश : आऩ हभायी फकस तयह से भदद कयें गे ?
सुयेश : दे खखमे हभाये ऩास फाढ़ के दौयान रोगों की भदद कयने के सरए तभाभ जीवन-यऺक
उऩकयण हैं। इसके अरावा हभें फाढ़ भें पींसे रोगों को सुयक्षऺत ननकारने औय ऩीडड़तों के
प्राथसभक उऩचाय की बी ट्रे ननींग दी गई है । मे ट्रे ननींग ऐसे ही हारात भें फचाव भें काभ आती है ।
(अचानक धचल्राने की आवाज़ सुनाई दे ती है / एक फच्चा ऩानी भें फह यहा है / फचाओ फचाओ
का शोय..)
सीता : (योते हुए... ऊंचे रवय भें ) फचाओ... फचाओ... कोई भदद कयो। भेया फेटा नदी भें फह यहा
है ... फचाओ.. फचाओ।
ग्राभीणों का सभवेत रवय : फचाओ.. फचाओ..उसे फचाओ कोई।
यभेश : हे बगवान। वो फच्चा तो कापी दयू तक फह गमा है । सुयेश बाई, प्रीज उसकी स्जींदगी
फचा रीस्जए।
सुयेश : (भजफूत स्वय भें ) घफयाइमे भत...। हभ उसे फचा रें गे... मही हभायी ड्मूटी है । (धचल्राते
हुए.. आदे शात्भक रवय) सशव, ऩूनभ, ज्मोनत... जल्दी कयो। उस फच्चे को नदी से फाहय ननकारो..
जल्दी।
(रोगों के ऩानी भें कूदने की आवाज़ ... छऩाक... छऩाक... छऩाक)
(फच्चे के योने की आवाज़ धीये -धीये कयीफ आती हुई)
सयु े श : फहनजी, योओ भत। हभने आऩके फच्चे को फचा सरमा है ...। मे दे खखमे।
सीता : (खश
ु ी औय उल्रास भें ) कहाीं है ... कहा है ... भेया रार... भेया फेटा...। (शांत रवय भें )
सयु े श बाई... आऩ रोगों का शफु क्रमा...। आऩने भेये फेटे की जान फचा री... वो भेया इकरौता फेटा
है ... भेये स्जगय का टुकड़ा...भैं उसके फगैय नहीीं यह सकती थी... शफु क्रमा आऩका।
ग्राभीण : वाह जवानो... आऩने तो गजफ कय हदमा...। शानदाय।
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE SIX
(फाढ़ याहत मशपवय का दृश्म / रोगों का शोय औय फच्चों के योने की आवाज़ें सुनाई दे यही हैं)
याकेश : मे हभ रोग कहाीं आ गमे हैं पऩताजी ? महाीं तो तभाभ टें ट नजय आ यहे हैं औय बीड़
बी कापी है । क्मा हभें महाीं यहने की जगह सभर जाएगी। पऩछरी यात से हभ रोग चरने भें ही
हैं। भैं तो कापी थक चक
ु ी हूीं।
कपऩर : फेटे, मे एक फाढ़ याहत कैंऩ है । सयकाय की ओय से इसे हभाये जैसे रोगों के सरए ही
फनामा गमा है ।
भीना : (उल्रास से) याहत कैंऩ ! इसका भतरफ मे हुआ फक महाीं हभें खाना-ऩानी सभर जाएगा।
इस सफकी तो हभें कापी जरूयत है ।
कपऩर : दे खो, सफसे ऩहरे तो हभें महाीं फाढ़ ऩीडड़तों के रूऩ भें अऩना यस्जस्ट्रे शन कयना होगा।
वो दे खो... साभने ही यस्जस्ट्रे शन डेस्क नजय आ यही है । तुभ दोनों अऩनी भम्भी के साथ महीीं
ऩय रुको। भैं यस्जस्ट्रे शन कयके आता हूीं।
(चरने की आवाज़... धीये -धीये भंद ऩड़ती हुई)
(टें ट के अंदय का शोय सुनाई दे ता है / रोगों की तेज फातचीत का मभराजुरा शोय )
याकेश
: तो मे है हभाया टें ट नींफय फीस। फकतना फड़ा टें ट है मे। महाीं तो फहुत साये रोग हैं।
ऐसे भें हभ कहाीं यहें गे।
कपऩर : वो... उस कोने भें यहें गे हभ रोग।
याकेश : क्मा कहा...। इतने साये रोगों के साथ।
कपऩर : हाीं, हभाये ऩास औय दस
ू या कोई चाया बी तो नहीीं है । तभ
ु चचींता भत कयो। हभाये ऩास
मे प्रास्स्टक की शीट बी हैं। दस
ू ये ऩरयवायों की तयह ही हभ बी इनसे ऩदाष सा फनाकय यह रेंगे।
सभ
ु न : दे खो। हभें यहने को टें ट सभर गमा है औय खाने-ऩीने का इींतजाभ बी हो गमा है । ऐसे
हारात भें औय बरा क्मा हो सकता है । फाढ़ की वजह से हजायों रोग फेघय हो गमे हैं। औय सबी
रोग ऐसे याहत कैंऩों का ही रुख कय यहे हैं। ऐसी स्स्थनत भें घय की तयह आयाभ सभरना तो
सींबव नहीीं है ।
कपऩर : ठीक कहा सभ
ु न आऩने।
(ऩदचाऩ सुनाई दे ती है ... कैं ऩ अधधकायी का टें ट भें प्रवेश)
अधधकायी : (धचल्राते हुए) कपऩर कौन हैं... कपऩर ससींह ...।
कपऩर : जी, भैं हूीं कपऩर... कपऩर ससींह।
अधधकायी : ठीक है । भैं महाीं चेक कयने के सरए आमा हूीं। भैं इस याहत कैंऩ का इींचाजष हूीं।
आऩके साथ औय फकतने रोग हैं।
कपऩर : सय, हभ चाय रोग हैं। भैं, भेयी ऩत्नी औय दो फच्चे।
अधधकायी : ठीक है ... आऩ रोग योज सफ
ु ह सात फजे अऩनी हास्जयी रगाना भत बर
ू ना। ऩास
ही मे यसोई है । खाने का साया इींतजाभ वहीीं है ।
कपऩर : शफु क्रमा आऩका... शफु क्रमा।
(ऩदचाऩ... दयू जाती हुई)
सभ
ु न : क्मा हुआ याकेश। आऩको कोई ऩये शानी हो यही है क्मा ?
याकेश : (रुं आसे रवय भें ) भेये ऩेट भें फहुत ज्मादा ददष हो यहा है । सफ
ु ह भझ
ु े ऩेचचश बी हुई थी।
कपऩर : वो दे खो, ऩास भें ही भेडडकर टीभ बी फैठी है ..। चरो वहीीं चरते हैं।
(ऩदचाऩ)
कपऩर : डॉक्टय साहफ नभस्ते। मे भेया फेटा याकेश है । मे चौदह सार का है ।
डॉक्टय : क्मा हदक्कत हो यही है फेटा।
याकेश : जी, भेये ऩेट भें कापी तेज ददष हो यहा है । भुझे दस्त बी हो यहे हैं।
डॉक्टय : ठीक है ... भैं दे खता हूीं। भेये ख्मार से आऩको डामरयमा हो गमा है । भैं कुछ दवाइमाीं दे
यहा हूीं, इन्हें रगाताय रेना औय साथ भें ओआयएस (ORS) के मे ऩाउच बी हैं। इन्हें बी जरूय
रेना।
कपऩर : सय, ज्मादा ऩये शानी की फात तो नहीीं है ना।
डॉक्टय : नहीीं... नहीीं.. अबी तो ऐसी कोई गींबीय फात नहीीं है ... रेफकन अगय आऩ महाीं आने भें
दे य कय दे ते तो शामद ऩये शानी औय फढ़ जाती।
कपऩर : इसकी वजह क्मा है सय।
डॉक्टय : दे खो। डामरयमा औय ऩेट सींफींधी हदक्कतें .. फाढ़ के दौयान होने वारी फेहद आभ फीभारयमाीं
हैं। इसका भुख्म कायण फाढ़ के दौयान खाने औय ऩानी का सींक्रसभत होना है ।
याकेश : सय, भैंने आऩके टें ट के फाहय रार टे ऩ से फनामा हुआ एक घेया दे खा था। वहाीं कई
साये रोगों को ग्रूकोज़ चढ़ामा जा यहा था। कौन हैं वे रोग ?
डॉक्टय : उन सबी को डामरयमा हुआ है औय उनकी हारत कापी गींबीय है । उस जगह ऩय उनका
इराज चर यहा है ।
कपऩर : रेफकन उनको इस तयह से अरग क्मों यखा हुआ है ?
डॉक्टय : आींतों सींफींधी मे फीभारयमाीं कापी तेजी से पैरती हैं। अगय इनको वक्त यहते नहीीं योका
गमा तो कई फाय भहाभायी की जैसी स्स्थनत ऩैदा हो जाती है । याहत सशपवयों भें ऐसे भयीजों को
इसी वजह से अरग यखा जाता है ।... रेफकन आऩ चचींता भत फकस्जमे। आऩ अऩने फेटे को वक्त
ऩय भेये ऩास रे आए हैं... वो दवाओीं औय ओआयएस के घोर से ठीक हो जाएगा।
याकेश : डॉक्टय अींकर, ओआयएस (ORS) होता क्मा है ?
डॉक्टय : ओआयएस (ORS) का भतरफ है ओयर रयहाइड्रेशन सॉल्ट (Oral Rehydration Salts)।
मे इरेक्ट्रोराइट्स औय डेक्सट्रोज़ का सभश्रण होता है स्जसकी भदद से हभाये शयीय के जरूयी कामष
सहजता से चरते हैं। डामरयमा के दौयान शयीय भें ऩानी औय इरेक्ट्रोराइट्स की कभी हो जाती है
ऐसे भें सादा ऩानी ऩीने के फजाम ओआयएस का घोर कापी भददगाय होता है ।
कपऩर : सय, क्मा मे कापी भहीं गा होता है ?
डॉक्टय : नहीीं... नहीीं...। मे कापी सस्ता है । दे खा जाम तो ओआयएस की भदद से गयीफ दे शों भें
डामरयमा से होने वारी भौतों भें कापी कभी आई है । डब्ल्मए
ू चओ मानी पवश्व स्वास््म सींगठन ने
बी ओआयएस को डामरयमा के उऩचाय के सरए एक जरूयी दवा के रूऩ भें ननधाषरयत फकमा है ।
याकेश : डॉक्टय अींकर, ओआयएस का पॉभर
ूष ा फकसने फनामा ? इतनी स्जींदचगमाीं फचाने के सरए
उनका तो सम्भान फकमा जाना चाहहमे।
डॉक्टय : इसकी एक रींफी दास्तान है । उन्नीसवीीं सदी के भध्म भें मूयोऩ के डॉक्टयों को मे ऩता
चर चक
ु ा था फक डामरयमा के भयीजों की भौत के ऩीछे भुख्म वजह ऩानी औय रवणों की कभी
का होना है । फपय उन्होंने इींजेक्शन के जरयमे भयीजों के शयीय भें ऩानी औय रवणों को ऩहुींचाकय
स्जींदचगमाीं फचाने की कोसशश की। रेफकन मे तयीका आभ रोगों के सरए सहज औय सुरब नहीीं
था। फाद भें फीसवी सदी के भध्म भें वैऻाननकों औय डॉक्टय ने ओआयएस का ईजाद फकमा स्जसे
फक कोई बी आसानी से ऩीकय अऩना उऩचाय कय सकता था। मह एक फहुत फड़ी काभमाफी थी।
याकेश आऩको मे जानकायी गवष होगा फक ओआयएस की इस कहानी भें दो बायतीम डॉक्टयों का
नाभ बी जुड़ा है ।
याकेश : अच्छा ! कौन हैं वो... ?
डॉक्टय : उनका नाभ है डॉक्टय हे भेंद्र नाथ चटजी औय डॉक्टय हदरीऩ भहारानाबफस (Dr. Dilip
Mahalanabis.) मे दोनों डॉक्टय कोरकाता के यहने वारे हैं औय उन्होंने ओआयएस से उऩचाय के
जरयमे हजायों रोगों की स्जींदचगमाीं फचाई हैं। इस काभमाफी के सरए डॉ हदरीऩ को दस
ू ये कुछ
रोगों के साथ ही सन दो हजाय छे (2006) का ऩोसरन ऩुयस्काय (Pollin Prize) हदमा गमा। मे
ऩुयस्काय फार योगों भें अनुसींधान के सरए हदमा जाता है ।
याकेश : (आत्भपवश्वास बये रवय भें ) भैं बी फड़ा होकय एक डॉक्टय फनूींगा।
(सबी के हं सने की आवाज़)
कपऩर : डॉक्टय साहफ, भयीज को ओआयएस फकस तयह हदमा जाता है ?
डॉक्टय : एक रीटय उफरे हुए ऩानी भें ओआयएस का एक ऩैकेट डार कय घोर रीस्जए। इसे
कुछ घींटों के अींतयार भें पऩरा दीस्जएगा। चौफीस घींटों के दयम्मान तीन ऩाउच से ज्मादा
ओआयएस नहीीं रेना है । आयाभ से दवाइमाीं दीस्जएगा। चचींता की कोई फात नहीीं है ।
याकेश औय कपऩर : थैंक्मू सय।
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE SEVEN
(फाढ़ याहत मशपवय का दृश्म / रोगों का शोय / भीना के योने की आवाज़ आ यही है )
भीना : (योते हुए) हे बगवान...। हभाया सफ कुछ खत्भ हो गमा।
ऩीमूष : (नयभ रवय भें ) तुभ कौन हो ? क्मों यो यही हो इस तयह से ?
भीना : (झझड़कते हुए) चरे जाओ महाीं से....।
ऩीमूष : भैं कोई तुम्हाया दश्ु भन नहीीं हूीं। तुभ इस तयह क्मों यो यही हो ?
भीना : (योते-योते) भेया नाभ भीना है ..।
ऩीमूष : ओके... भैं ऩीमूष हूीं। रेफकन तुभ यो क्मों यही हो ?
भीना : हभने फाढ़ भें अऩना सफ कुछ गींवा हदमा...। हभाया घय, हभाया साभान ... सफ कुछ
खत्भ हो गमा।
ऩीमूष : भेये साथ बी तो ऐसा ही हुआ है ।
भीना : अच्छा ! रेफकन तुम्हें दे खकय तो रग यहा है भानो कुछ हुआ ही ना हो।
ऩीमूष : हाीं भीना...। योना-धोना हभायी इस ऩये शानी का सभाधान नहीीं है । हभें एक नई शुरुआत
कयनी होगी।
भीना : तुभ तो फड़े हहम्भती हो ऩीमूष। कौन सी क्रास भें ऩढ़ते हो तुभ ?
ऩीमूष : भैं तो फायहवीीं भें ऩढ़ता हूीं.... औय तुभ ?
भीना : भैं ग्मायहवीीं भें ।
ऩीमूष : भेयी तो सायी कॉऩी-फकताफें बी इस फाढ़ की बें ट चढ़ गईं।
भीना : चचींता भत, कयो। भैं प्रास्स्टक शीट भें रऩेट कय कुछ फकताफें साथ भें राई हूीं। शामद
तम्
ु हाये बी कुछ काभ आ सकें।
ऩीमष
ू : नहीीं... नहीीं... भैं तो चचींनतत बफल्कुर बी नहीीं हूीं। क्मोंफक भैं जानता हूीं फक हय चीज के
दो ऩहरू होते हैं.. नकायात्भक औय सकायात्भक। फाढ़ के कुछ सकायात्भक ऩहरू बी हैं।
भीना : सकायात्भक ऩहूर ? वो क्मा ?
ऩीमष
ू : मे सच है फक फाढ़ से खेती को कापी नक
ु सान होता है ... रेफकन मह बी सच है फक
फाढ़ की फदौरत ही फेहतय खेतों का ननभाषण बी होता है ।
भीना : वो बरा कैसे ?
ऩीमूष : फाढ़ के फाद जभीन भें उऩजाऊ सभट्टी का जभाव हो जाता है । जफ धीये -धीये फाढ़ का
ऩानी उतय जाता है तफ जभीन ऩहरे से ज्मादा उऩजाऊ हो जाती है । सही भामने भें दे खा जाए
तो गींगा के डेल्टा की ऩूयी उऩजाऊ जभीन की असर वजह बी फाढ़ ही है ।
भीना : सही सहा ऩीमूष तुभने। फाढ़ ना ससपष खेती के सरए सकायात्भक है फस्ल्क इसने भेयी
सोच को बी एक नई हदशा दी है ।
ऩीमूष : सूयज नछऩने को है । जल्दी ही अींधेया बी होने रगेगा।
भीना : हाीं ऩीमष
ू । हभें टें ट की ओय रौटना चाहहमे..। वनाष भेयी भम्भी को चचींता होने रगेगी।
वैसे, तभ
ु कौन से टैंट भें रुके हो।
ऩीमष
ू : भेये टें ट का नींफय अट्ठाइस (28) है ।
भीना : भतरफ हभाये टें ट से आठ टैंट की दयू ी ऩय...
(दोनों के हं सने की आवाज़)
भीना : ठीक है ऩीमष
ू जल्द ही फपय होगी भर
ु ाकात। फाम...
ऩीमष
ू : फाम भीना...
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