रेडियो धारावाहिक : अंकों के खिलाड़ी एपिसोड शीर्षक ----
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रेडियो धारावाहिक : अंकों के खिलाड़ी एपिसोड शीर्षक ----
रे डियो धारावाहिक : अंकों के खिलाड़ी एपिसोड शीर्षक ---- एक अनवरत िोज़ी : आककमिि़ीज़ अवधध भाषा : 27 मिनट : हिंदी ककरदार श्ऱीननवास ओली सिन्वयक : श्ऱी ब़ी.के. त्याग़ी 16-17 साल की छात्रा - मेधा का छोटा भाई आकाश - मेधा व प्रयाास के पिताजी वसुधा - प्रयाास व मेधा की माताजी मधुकर - ररटायार प्रोफेसर (अपेक्षाकृत भारी आवाज) कपवता - मधक ु र की िोती (दसवीीं की छात्रा) हे रॉन - : : मेधा प्रयाास स्क्रिप्ट प्राचीन यान ू ानी राजा (अपेक्षाकृत भारी आवाज) आकषममडीज - गणितज्ञ कुछ राज दरबारी SIGNATURE TUNE ……………………. FADE OUT सूत्रधार : (Welcome + Recap + Intro) आधाररत रे डडयाो धारावाहहक - दे श और दनु नयाा के महान गणितज्ञों िर अंकों के खिलाड़ी ... में आिका एक बार फफर से स्वागत है । धारावाहहक के पिछले अींक में हमने बात की थी..... की। आज हम आिको रुबरू करा रहे हैं एक ऐसी शख्ससयात से.. ख्जनके व्याख्ततत्व में थी एक महान वैज्ञाननक की रचनात्मकता, बेममसाल गणितीया कौशल और व्याावहाररक आपवष्कारों को ज़मीन िर उतारने की अनोखी काबबमलयात भी। जी हाीं... हम बात कर रहे हैं महान गणितज्ञ, आपवष्कारक और भौनतक पवज्ञानी आकषममडीज की। तो लीख्जयाे िेश है रे डडयाो धारावाहहक अींकों के णखलाडी की आज की कडी – एक अनवरत िोज़ी : आककमिि़ीज ---------SIGNATURE TUNE-------- SCENE ONE : (िेधा और प्रयास का घर। सुबि का वक्त िै । पररवार के सदरयों का ध़ीिा शोर। साथ िें रे डियो पर सिाचार की ध़ीि़ी स़ी आवाज।) वसुधा : बच्चो, ध्याान है ना आि लोगों को, आज रपववार है । (दस ू रे किरे से आत़ी आवाज) िेधा : हाीं, हाीं माीं। यााद है । (करीब आत़ी कदिों की आवाज) िेधा : माीं, आि िरे शान ना हों। मुझे अच्छी तरह से यााद फक आज बाहर तयााररयाों की सफाई करनी है । वसुधा िेधा : : वसुधा ... और प्रयाास कहाीं है बेटी। वो तो बाहर लॉन में ही है । और पिताजी भी वहीीं अखबार िढ़ रहे हैं। : ठीक है , लो तुम भी याे जग और बाल्टी लॉन में ले जाओ, वहाीं काम आयाेगी। (बाल्टी को खिसकाने की आवाज) । तम ु लोग अिना काम करो, मैं मींजल ु ा दीदी के साथ सख्जजयााीं और फल खरीदने जा रही हूीं। िेधा ठीक है । (दरवाजा िोलने की आवाज) (कुछ कदि चलने की आवाज) : प्रयास दे खो दीदी, आिके आने से िहले ही मैं फकतनी सफाई कर चुका हूीं। (लॉन िें : धचडडया के चिचिाने की ध़ीि़ी आवाज भ़ी आ रिी िै ) िेधा : प्रयास हाीं.. हाीं। नजर आ रहा है मुझ।े याे तमाम ित्थर अभी भी बेतरतीब िडे हुए हैं। : आकाश बस दीदी, आिको को तो मेरा कुछ भी काम सही नहीीं लगता। : अरे बच्चो, अिना काम जल्दी- जल्दी िूरा करो। तुम शायाद भूल रहे हो फक आज घर िर प्रोफेसर मधुकर आ रहे हैं। और साथ में उनकी बेटी कपवता भी। िेधा : अरे वाह। उनसे ममलकर तो काफी कुछ नयाा जानने को ममलेगा। चलो भाई, जल्दी-जल्दी काम खत्म करो। (जि़ीन पर झाडू के रघडने, सफाई करने की आवाज) िेधा : अरे प्रयाास, अब इस ित्थर को हाथ में िकडकर तयाूीं खडे हो। तयाारी के फकनारे िर लगाओ उसे। प्रयास िेधा : : दीदी, तयाा तुम इस ित्थर का आयातन बता सकती हो। प्रयाास, तुम भी कैसे सवाल िूछते हो। तुम ही सोचो ऐसे सवालों के जवाब। (जि़ीन पर झाडू के रघडने, सफाई करने की आवाज) प्रयास िेधा : : कुछ जोर से चचल्लाते हुए। याूरेका... याूरेका। अरे , तयाा खोज मलयाा तुमने ऐसा जो याूरेका...याूरेका चचल्ला रहे हो। आकाश : तयाा हुआ बेटे प्रयाास। तयाा ममल गयाा तम् ु हें । याही शजद तो उन्होंने भी कहे थे। प्रयास आकाश प्रयास फकसने। (चौंकते िुए) : : : महान गणितज्ञ, भौनतक पवज्ञानी और इींजीननयाररींग के जनक आकषममडीज ने। पिताजी, तयाा हुआ था तब, तयाों कहा था उन्होंने ऐसा। आकाश : बच्चो इसे जानने के मलयाे तो हमें दो हजार साल से भी िहले के प्राचीन यान ू ान में सम्राट हे रॉन के दरबार में चलना होगा। याे ही वो दौर था जब आकषममडीज अिनी वैज्ञाननक बुपिमता से सींसार को है रत में डाल रहे थे। ------SCENE TRANSITION MUSIC-----SCENE TWO : प्राच़ीन यूनान िें राजा िे रॉन का दरबार। (ध़ीरे ध़ीरे शांत िोत़ी आवाजें... सम्राट की जय िो... सम्राट िे रॉन की जय िो ) राजा : (कुछ धचंनतत रवर िें ) दे वता का िवष करीब आ रहा है , और अब तक हम सोने की माला की शुिता नहीीं जान िायाे हैं। अगर हमने गलती से भी ममलावटी सोने की माला दे वता को चढ़ा दी तो अननष्ट हो सकता है । दरबारी राजा : : सम्राट आि चचींता ना करें । कोई ना कोई रास्ता ननकल ही आएगा। हाीं, उम्मीद तो है । लेफकन आकषममडीज भी अब तक कोई समाधान नहीीं दे िायाे हैं। (दरू से आत़ी िुई आवाज- यूरेका : यूरेका) राजा : दरबारी याे कैसी आवाज आ रही है । कौन है याे। : सम्राट, याे आकषममडीज हैं। टब में नहाने के बाद िता नहीीं उनको तयाा सूझा, वो अचानक उठकर भागने लगे। वो दरबार की ओर ही आ रहे हैं। (करीब आकर ध़ीरे ध़ीरे तेज िोत़ी िुई आवाज... यरू े का... यरू े का) राजा : अरे , आकषममडीज, तयाा हुआ। तुम इस तरह चचल्लाते हुए तयाों आ रहे हो। और तुमने किडे भी नहीीं िहने हुए हैं। आककमिि़ीज : सम्राट। मैंने खोज मलयाा। मैंने िा मलयाा सम्राट... याूरेका --- याूरेका.... मुझे समस्याा का समाधान ममल गयाा है । (िांफते िुए) राजा : तयाा हुआ। िूरी बात बताओ। आककमिि़ीज : सम्राट। िहले आि मझ ु े सोने की वो माला दीख्जए ख्जसकी शुिता आि जानना चाह रहे थे। और हाीं, उतने ही भार के बराबर शुि सोने की ईंट भी दीख्जए। माला को तोडे बगैर ही मैं बता सकता हूीं फक उसके सोने में ममलावट की गई है याा नहीीं। साथ में िानी से भरी एक बाल्टी भी मुहैयाा करवा दीख्जएगा। राजा : जरूर। अभी लीख्जयाे। (आदे श के रवर िें ) सोने की माला और शुि सोना हाख्जर फकयाा जाए। (करीब आत़ी कदिों की आवाज) दरबारी : याे लीख्जयाे आकषममडीज। याे रही सारी चीजें... और याे रही िानी से भरी बाल्टी। (धातु के टुकडे, बाल्टी को खिसकाने की आवाज) आककमिि़ीज : (ध़ीि़ी आवाज िें ) हूीं... माला को डुबोने के बाद बाहर ननकला हुआ िानी तो नाि मलयाा। अब इस शुि सोने की ईंट को डुबोकर दे खता हूीं। (पाऩी िें कुछ िूबने की आवाज) आककमिि़ीज : (कुछ ऊंच़ी आवाज िें ) सम्राट। आिका शक सही ननकला। सोने की इस माला में ममलावट की गई है । सोने की तुलना में फकसी हल्की धातु को इसमें ममलायाा गयाा है । राजा : तयाा तम ु सही कह रहे हो आकषममडीज। आककमिि़ीज राजा : : हाीं सम्राट। इसमें कोई सींदेह नहीीं है । सोने की माला ममलावटी है । शुफियाा आकषममडीज। तुम्हारा ज्ञान बेजोड है । तुमने एक बार फफर से अिनी काबबमलयात को साबबत कर हदयाा। दे वता को समपिषत करने मलए अब मुझे शुि सोने की दस ू री माला बनवानी होगी। आककमिि़ीज : जया हो... सम्राट की जया हो। सिवेत रवर िें दरबारी : जया हो... सम्राट की जया हो। ------SCENE TRANSITION MUSIC-----प्रयास : अच्छा, तो याे है याूरेका… याूरेका के िीछे की कहानी। मुझे बस इतना तो िता था फक याूरेका का मतलब कुछ नयाे पवचार से है । लेफकन आकषममडीज ने सोने की माला की शुिता का अींदाजा कैसे लगायाा। आकाश : दे खो बेटे, आकषममडीज ने ममलावटी सोने की माला को और उतने ही भार के शुि सोने को बारी- बारी से लबालब भरी बाल्टी में डुबायाा। उन्होंने दोनों ही बार बाल्टी से बाहर छलके हुए िानी को नाि मलयाा। िेधा : प्रयाास, दरअसल याे आकषममडीज के उत््लावन के मसिाींत के जन्म की कहानी है । प्रयास : उत््लावन का मसिाींत। िेधा- हाीं, उत््लावन का मसिाींत। इस मसिाींत के मुताबबक याहद फकसी वस्तु को फकसी तरल में आींमशक याा िूिष रूि से डुबायाा जाता है तो उसके भार में कमी आ जाती है । और भार में आई याे कमी उस वस्तु द्वारा हटायाे गयाे तरल के भार के बराबर होती है । आकाश : हाीं, बबल्कुल सही कहा मेधा तुमने। प्रचमलत कहानी में भी आकषममडीज ने इसी मसिाींत के इस्तेमाल से सोने की माला में ममलावट का िता लगायाा था। प्रयास : आकाश अच्छा। : हाीं, कहा जाता है फक एक बार आकषममडीज नहाने के मलए बाथटब में लेटे हुए थे। उन्होंने दे खा फक टब में उतरते समया िानी की एक बडी मात्रा टब से बाहर हो गई थी, और उसी वतत आकषममडीज को अिने भार में कुछ कमी महसूस हुई थी। कहा जाता है फक तभी उनके हदमाग में इस मसिाींत का िहला पवचार कौंधा था। प्रयास : अच्छा। याे तो बहुत रोचक है । िेधा : प्रयाास, आकषममडीज के बारे में इससे भी कहीीं ज्याादा फकीं वदीं नतयााीं प्रचमलत हैं। तम ु सन ु ोगे तो है रान हो जाओगे। प्रयास : आकाश हाीं.. हाीं.. दीदी। बताओ ना उनके बारे में .. (ब़ीच िें टोकते िुए) बच्चो, दे खो अभी िहले तयााररयाों का काम तो िूरा कर : लो। लॉन अभी भी िूरी तरह से साफ नहीीं हुआ है । तुम्हारी मम्मी दे खेंगीीं तो फफर तुम लोगों को डाींट खानी िडेगी। िेधा, प्रयास आकाश : : (कुछ िायूस़ी भरे अंदाज िें) हाीं, वो तो है । अरे , तुम लोग उदास मत हो। अभी कुछ दे र में प्रोफेसर मधुकर आने वाले हैं। उनके साथ बैठकर आकषममडीज के बारे में ढे र सारी बातें करें गे। िेधा : हाीं.. हाीं, याे ठीक रहे गा। अभी तो अिना काम िूरा कर लेते हैं। (ध़ीरे -ध़ीरे शांत िोत़ी आवाज, धचडडयों की चिचिािट) SCENE TWO : िेधा, प्रयास का घर। पररवार के सभ़ी सदरय ड्राइंिरूि िें बैठकर टीव़ी पर किकेट िैच दे ि रिे िैं। (कॉिें ट्री की ध़ीि़ी आवाज) आकाश (कुछ ध़ीिे रवर िें ) आज का मैच तो बेहद नीरस हो गयाा है । बबल्कुल भी : रुचचकर नहीीं रहा। (टे लीववजन की आवाज ििश: ध़ीि़ी िोकर बंद िोत़ी िुई) (िोरबेल बजने की आवाज) आकाश : लगता है प्रोफेसर मधुकर आ गयाे हैं। (िोरबेल की आवाज कफर से आत़ी िै ) िेधा (कुछ उल्लामसत रवर िें ) हाीं.. हाीं। प्रोफेसर मधुकर ही हैं। साथ में कपवता भी : है । (दरवाजा िुलने की आवाज) आकाश : नमस्कार सर। आइयाे िधुकर : कैसे हो आकाश। बच्चो, आिकी िढ़ाई कैसी चल रही है । िेधा, प्रयास आकाश : : आइयाे सर। आओ बेटी कपवता आओ। नमस्ते सर। है लो कपवता। आओ बैठो। : सर, हम लोग आिका ही इींतजार कर रहे थे। प्रयाास तो सुबह से ही बेचैन : अरे , ऐसी तयाा बात है भला। है । िधुकर िेधा : सर, दरअसल आज सुबह िािा जी ने आकषममडीज की याूरेका - याूरेका वाली दास्तान सुनाई थी। तभी से वो आकषममडीज के बारे में और ज्याादा जानने को बेताब है । कववता : तो याही है प्रयाास के बेचैनी की वजह। (सािूहिक ध़ीि़ी िं स़ी) िधुकर : दे खो बच्चो, आकषममडीज के काम में गणितीया ननयामों और भौनतकी का एक बेहतरीन सामजस्या हदखाई दे ता है । याे और बात है फक उनकी ख्जींदगी के बारे में आज हम ख्जतना भी जानते हैं, उसमें एक बडा हहस्सा फकीं वदीं नतयाों और फकस्सों से भरा हुआ है । आकाश : और आकषममडीज को यााींबत्रकी का जनक भी कहें तो कोई अनतशयाोख्तत नहीीं : ठीक कह रहे हो आकाश। अिने बेममसाल ज्ञान की वजह से आकषममडीज को होगी। िधुकर अिने वतत में बुपिमान, मास्टर और महान ज्यााममनतकार जैसे पवशेर्िों से सींबोचधत फकयाा जाता था। आकाश : हाीं, याही वजह है फक आकषममडीज को महान न्याूटन और कालष गॉस के समकक्ष प्रनतभासींिन्न गणितज्ञ माना जाता है । कववता : आकाश लेफकन, आकषममडीज तो आइज़क न्याूटन से काफी िहले के दौर में थे शायाद। : हाीं कपवता। आकषममडीज का जन्म न्याूटन से करीब दो हजार साल िहले दो सौ सत्तासी (287) ईस्वी िूवष में हुआ था। इनके जीवन के बारे में िुसता तरीके से तो ज्याादा कुछ नहीीं कहा जा सकता है लेफकन बाद के वतत में मलखे दस्तावेजों से कुछ जानकाररयााीं जरूर ममल जाती हैं। िेधा : लेफकन इनके िररवार के बारे में तो कुछ जानकाररयााीं जरूर होंगी। िधुकर : आकषममडीज का जन्म प्राचीन याूनान में मससली के सेरातयाूस शहर में हुआ था। उनके पिताजी शहर के एक प्रनतख्ष्ठत व्याख्तत थे और उनकी खगोलपवज्ञान और गणित में बेहद रुचच थी। प्रयास : िधुकर तयाा आकषममडीज िूरे जीवनभर सेरातयाूज में ही रहे । : नहीीं, नहीीं। ऐसी बात नहीीं है । आकषममडीज ने कुछ वतत एलेतजेंडियाा में भी बबतायाा। प्रयास : िधुकर ऐसा तयाा खास था एलेतजेंडियाा में । : दस ू री शताजदी ईसा िूवष में एलेतजेंडियाा दनु नयााभर में मशक्षा के एक अहम केंद्र के तौर िर उभर रहा था। याहाीं का मशहूर िुस्तकालया तमाम दनु नयाा के पवद्वानों को आकपर्षत करता था। कहा जाता है फक आकषममडीज ने ज्यााममनत सींबींधी ज्ञान को इसी शहर में और ज्याादा प्रगाढ़ फकयाा था। आकाश : हाीं, एलेतजेंडियाा में ही आकषममडीज ने पवद्वान याख्ू तलड के द्वारा िर मलखी मशहूर िुस्तक- ज्यााममनत “एलीमें ट” को भी िढ़ा था। कववता - तयाा याूख्तलड से आकषममडीज की मुलाकात भी हुई थी। आकाश - नहीीं- नहीीं, कपवता। माना जाता है फक जब आकषममडीज एलेतजेंडियाा गयाे, तब याूख्तलड का दे हाींत हो चुका था। िेधा : सर, मैंने फकताबों में आकषममडीज के कुछ ऐसे चचत्र दे खे हैं ख्जसमें वो कई तरह के रे खाचचत्र बनाने में तल्लीन हदखाई दे ते हैं। िधुकर : सही कहा मेधा तुमने। आकषममडीज अतसर गणितीया समाधान खोजने में दीनदनु नयाा से बेखबर हो जाते थे। कहा जाता है फक कई बार वो स्नान के वतत अिने शरीर िर ही ज्यााममतीया आकृनतयााीं बनाने में जुटे जाते और स्नान करना भी भूल जाते। प्रयास : दीदी, आि तो कह रही थीीं फक आकषममडीज के कई आपवष्कार लींबे समया तक लोगों को अपवश्वसनीया लगते रहे थे। िधक ु र : हाीं प्रयाास। सही कहा मेधा ने। आकषममडीज ने अिने जीवनकाल में कई तरह की मशीनों का आपवष्कार फकयाा। उन्होंने अिने गणित और भौनतकी के ज्ञान के बल िर ख्जींदगी के कई िहलुओीं से जुडी मशीनें ईजाद कीीं। प्रयास : अच्छा। िधुकर- आकषममडीज ऐसे िहले शसस थे ख्जनकी बदौलत गणित के मसिाींतों को ज्याादा प्रभावी तरीके से व्याावहाररक धरातल िर उतारा जा सका। आकषममडीज ने जहाीं एक ओर सािेक्षक्षत घनत्व का मसिाींत हदयाा, द्रव्या स्थैनतकी की आधारमशला रखी, िाई का ननकटतम मान हामसल फकयाा, कैलकुलस के प्रारीं मभक स्वरूि को खोजा और उत्तोलक (lever) के कायाष को गणितीया मलहाज से अमभव्यातत फकयाा। वहीीं दस ू री ओर उन्होंने कई अनोखी गुलेल भी बनाईं, मसींचाई के मलए िानी के स्िू िींि बनायाे और याुि के मलयाे सैन्या मशीनें भी ईजाद कीीं। प्रयास (चौंकते िुए) सैन्या मशीनें। तयाा वो लडाई के मैदान में काम आती थीीं। : िधक ु र : कहा जाता है फक आकषममडीज के जीवनकाल में ही रोमन सेना ने सेरातयास ू शहर की घेराबींदी की थी। तब आकषममडीज ने अिनी कई सैन्या मशीनों को याुि के मैदान में उतार हदयाा था। िेधा (उल्लास के साथ) सर, फकस तरह की थी याे मशीनें। : िधुकर : याुि के दौरान आकषममडीज की मशीनों का उल्लेख ्लूटाकष ने अिने लेखन में फकयाा है । उनके मुताबबक आकषममडीज ने कई तरह की मशीनें दश्ु मन सेना के सामने उतार दीीं। कुछ बडी -बडी गल ु ेल थीीं जो बडे-बडे ित्थरों को दश्ु मन िर बरसा रहीीं थीीं। पवशालकाया िेनों के जररयाे दश्ु मन के जहाजों को हवा में झुलाकर समुद्र में फेंका जा रहा था। कुछ बडे- बडे हथौडेनुमा लीवर रोमन जहाजों को ध्वस्त करने में जुटे थे। प्रयास (रोिांधचत िोते िुए) रोमन सैननकों के मलए याे सब कुछ एक तबाही की तरह : था। कववता : मैंने कहीीं िढ़ा था फक आकषममडीज ने कुछ बडे-बडे दिषिों की मदद से रोम के जहाजों को भी जलाकर राख कर हदयाा था। आकाश : हाीं कपवता। ऐसा कहा जाता है फक आकषममडीज ने कुछ पवशाल दिषिों को इस तरह से समायाोख्जत फकयाा था फक उनसे िरावनतषत प्रकाश फकसी एक बबींद ु िर केंहद्रत हो सकता था। कहते हैं फक इसी तरकीब से उन्होंने रोमन जहाजों को जला हदयाा था। प्रयास : िधुकर सुनने में बडा अजीब लग रहा है , लेफकन तयाा याे सबकुछ सही है । : दरअसल आकषममडीज का समूचा काम फकीं वदीं नतयाों याा फफर उनकी मत्ृ याु के काफी बाद में मलखी हट्िणियाों के द्वारा ही मौजद ू ा दनु नयाा के सामने आ िायाा है । याही कारि रहा फक इन मशीनों के अख्स्तत्व िर सवाल भी उठायाे गयाे लेफकन इनकी कायाषप्रिाली को कई वैज्ञाननक िरीक्षिों के द्वारा सही साबबत भी फकयाा जा चुका है । िेधा िधुकर : लेफकन तयाा आकषममडीज की मशीनों ने रोमन सैननकों को हरा हदयाा था। : नहीीं मेधा। आणखरकार रोमन सैननकों ने सेरातयाूस शहर िर कजजा कर ही मलयाा और उन्होंने ही आकषममडीज की हत्याा कर दी। : (चौंकते िुए) हत्याा कर दी। भला उन्होंने ऐसा तयाों फकयाा। प्रयास िधक ु र : कहा जाता है फक रोमन सैननकों ने आकषममडीज को उस वतत दे खा जब वो रे त िर कुछ ज्यााममतीया आकृनतयााीं बनाने में व्यास्त थे। उस वतत आकषममडीज करीब पिचहत्तर (75) वर्ष के थे। उनके आसिास िूरा शहर जल रहा था लेफकन आकषममडीज इस बात से अनजान थे फक सेरातयाूस शहर िर रोमन सैननकों का कजजा हो चुका है । िेधा- अच्छा, फफर तयाा हुआ। िधक ु र : रोमन सैननकों ने उनसे सेनािनत के सामने चलने को कहा लेफकन आकषममडीज ने रे खाचचत्रों में उलझी समस्याा के समाधान के मलए कुछ वतत माींगा। इस बात से खफा रोमन सैननक ने तुरींत तलवार ननकाली और उनकी हत्याा कर दी। कववता : िधुकार अरे याे तो बडा दख ु अींत रहा एक महान गणितज्ञ का। : याे घटना फकतनी सच है याे तो मालूम नहीीं लेफकन कहा जाता है फक रोमन सैननकों से उनके कहे आणखरी शजद थे फक- मेरे इन वत्ृ तों को खराब मत करना। िेधा- इससे तो याे अींदाजा हो जाता है फक आकषममडीज गणित से, ज्यााममनत से और पवज्ञान से फकस तरह आत्मा तक जुडे हुए थे। िधुकर : एक खास बात याे भी फक रोमन सैननकों को उनके सेनािनत मासेलस ने आकषममडीज को नुकसान ना िहुींचाने के आदे श हदयाे थे। सैननकों को ससत हहदायात थी फक वो आकषममडीज का िूरा सम्मान करें । बाद में जनरल मासेलस आकषममडीज के बनायाे हुए दो गोलों को रोम भी लायाा था। प्रयास : िधुकर दो गोले ? तयाा खास बात थी इन गोलों में । : एक गोला िूरी तरह से ठोस था ख्जसमें कुछ तारे आहद उकेरे गयाे थे। याे एक तरह का खगोलीया ग्लोब था। लेफकन दस ू रा गोला तो बेहद अनोखा था। िेधा : िधुकर अनोखा गोला : हाीं, अनोखा गोला। याे एक तारामींडल का लघु रूि था। याे एक ऐसा यााींबत्रक मॉडल था ख्जसके जररयाे िथ् ू रे ग्रहों की गनत को ृ वी के सािेक्ष सूया,ष चींद्रमा और दस हदखायाा गयाा था। उस दौर से हहसाब से याे एक बेहद जहटल मशीन थी। आकाश : सर, इस मॉडल से इस बात का भी इशारा ममलता है फक आकषममडीज ने एक ऐसे ब्रहमाींड की कल्िना की थी ख्जसका केंद्र िथ् ृ वी थी, ना फक सूया।ष िधुकर आकाश : सही कहा आकाश आिने। : बच्चो, सैननकों ने आकषममडीज की हत्याा भले ही कर दी हो लेफकन रोमन जनरल मासेलस उनके वैज्ञाननक और गणितीया ज्ञान से बेहद प्रभापवत था। बाद में रोमन लोगों ने आकषममडीज की कब्र के उिर एक ित्थर लगायाा ख्जसमें एक बेलनाकार आकृनत के अींदर एक गोले को उकेरा गयाा। कववता आकाश : (चौंकते िुए) : हाीं, बेलनाकार आकृनत के अींदर एक गोला। तयाोंफक आकषममडीज अिनी कब्र िर ऐसा ही ित्थर लगवाने की इच्छा रखते थे। दरअसल आकषममडीज ने याे स्थापित फकयाा था फक फकसी भी गें द का क्षेत्रफल और घनफल उसे घेरने वाली बेलनाकार आकृनत का दो नतहाई होता है । समानि ु ात के इस मसिाींत को आकषममडीज अिने जीवन की सबसे बडी उिलख्जध मानते थे। कववता- याे तो काफी मजेदार बात है । आकाश – तुम्हें याे जानकर है रानी होगी फक कब्र के ित्थर िर उकेरे गयाे इसी रे खाचचत्र की वजह से रोमन दाशषननक और राजनेता मससरो ने आकषममडीज की कब्र को खोज ननकालने में सफलता िाई थी। वो भी आकषममडीज की मत्ृ याु के करीब सौ वर्ों के बाद। कववता – अच्छा। िधुकर : एक और रोचक बात याे है फक आकषममडीज के आपवष्कार, उनकी बनाई हुई मशीनें तो काफी प्रमसि हुईं लेफकन उनकी गणितीया रचनाओीं को उस दौर में ज्याादा महत्व नहीीं ममला। हालाींफक एलेतसेंडियाा के तमाम गणितज्ञ आकषममडीज के काम का अध्यायान भी करते थे और कई जगह उनका सींदभष भी दे ते थे। आकाश : दरअसल बात याे है फक आकषममडीज की तमाम कृनतयाों को उन जीवन के करीब आठ सौ वर्ों के बाद ही एकत्र फकयाा जा सका। छठी शताजदी में याट ू ोमसयास के सींकलन के जररयाे ही समूचा सींसार आकषममडीज के काम से रूबरू हो सका। िधुकर : कहा तो याे भी जाता है फक आकषममडीज की एक जीवनी उनके ममत्र ने मलखी थी लेफकन वो रचना भी कहीीं खो गई। याही वजह है फक आकषममडीज की ख्जींदगी का हमें उतना ही सच मालुम है ख्जतना फकीं वदीं नतयाों याा फकस्से कहाननयाों के जररयाे हम तक िहुींच सका। िेधा : लेफकन सर, हमें तो आिकी वजह से आकषममडीज के बारे में इतना कुछ जानने को ममला। कववता, प्रयास िधुकर : : (सिवेत रवर िें ) हाीं हाीं, याे बात तो बबल्कुल सही है । (िं सते िुए) बच्चो, इसमें भला कौन सी नई बात है । जानकाररयााीं तो बाीं टने से ही बढ़ती हैं ना। (सभ़ी के िं सने की आवाज) िेधा – लेफकन प्रयाास, तम ु जरा याे तो बताओ फक, आज सब ु ह लॉन में करते वतत तम ु अचानक याूरेका... याूरेका तयाों चचल्लाने लगे थे। प्रयास – अरे .. बस याूीं ही... उस वतत मुझे एक नई बात सूझी थी तो याे शजद ही जुबान िर आ गयाा। दरअसल हाल ही में एक फकताब में मैंने याूरेका शजद िर छोटी सी हट्ििी िढ़ी थी, और याे शजद हदमाग में बैठ गयाा था। िेधा – (कुछ िं सते िुए) अच्छा .. अच्छा। मैंने तो समझा फक शायाद तुमने भी कोई महान खोज कर ली है । (सभ़ी के िं सने की आवाज) (दरवाजे की घंटी बजने की आवाज) आकाश : मेधा, दे खो शायाद वसुधा भी बाजार से आ गई हैं। हमें तो बातों ही बातों में समया का कुछ िता ही नहीीं चला। आधा घींटा बीतने को है । (दरवाजा िुलने की आवाज) वसध ु ा - (करीब आत़ी िुई आवाज) नमस्कार सर। कैसे हैं सर आि। िधक ु र : मैं ठीक हूीं वसध ु ा। वसध ु ा - अरे बेटी कपवता, तम ु भी आई हो। आज तो मेधा की छुट्टी सफल हो गई। िेधा, और कववता आकाश : : (सिवेत रवर िें , िल्की िं स़ी के साथ)- हाीं... हाीं, याे बात तो है । अरे वसुधा, सजजी की टोकरी में ताजा ्यााज भी हदख रहा है । प्रोफेसर साहब के मलए गमाषगमष िकौडडयााीं बन जाएीं तो हमारी भी छुट्टी सफल हो जाएगी। (सभ़ी के िं सने की आवाज... ििश ध़ीि़ी िोत़ी िुई) ------SCENE TRANSITION MUSIC-----सूत्रधार : दोस्तो, आज की कडी में हमने जाना फक आकषममडीज के अिने गणितीया ज्ञान को फकस बखब ू ी से व्याावहाररक धरातल िर उतारा था। शायाद अिनी इसी बौपिक क्षमता के बल िर उन्होंने दावा फकयाा था फक- अगर उनको िथ् ृ वी से बाहर खडे होने लायाक कोई जगह ममल जाए तो वो एक लीवर की मदद से समूची धरती को णखसका सकते हैं। रे डडयाो धारावाहहक अंकों के खिलाड़ी के आज के अींक में इतना ही। अींकों के जररयाे ख्जींदगी की तमाम गुख्त्थयााीं सुलझाने वाले महान गणितज्ञों की एक और रोचक दास्तान लेकर हम फफर हाख्जर होंगे... फफलहाल दीख्जयाे इजाजत। नमस्कार। ------CLOSING MUSIC------ …………………………………………………………………………………………………………………………………Shriniwas Oli Lohaghat (Uttarakhand) Ph : 9412097000 , [email protected]