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एपऩसोड शीषषक : सूखे का साभना येडडमो धायावाहहक : 10

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एपऩसोड शीषषक : सूखे का साभना येडडमो धायावाहहक : 10
ये डडमो धायावाहहक : 10
एपऩसोड शीषषक : सूखे का साभना
अवधि : 27 ममनट
समन्वयक :
श्री बी. के. त्यागी
स्क्रिप्ट : डॉ ई.आर. सुब्रह्मण्यम
अनुवाद : श्रीननवास ओऱी
पात्र पररचय
1- समरें द्र –
ककसान (55 वषीय अिेड़)
2- ववमऱा – समरें द्र की पत्नी (50 वषष)
3- करुणा – समरें द्र व ववमऱा की ककशोर बेटी (16 वषष)
4- सरू ज – तहसीऱदार (45 वषष)
5- पवन – ब्ऱॉक प्रमख
ु (45 वषष)
6- हहमानी – सरपंच (35 वषष)
7- नरें द्र – कृवष ववज्ञानी (30 वषष)
8- ऱता – मौसम ववज्ञानी (भारतीय मौसम ववभाग में अधिकारी) (35 वषष)
SIGNATURE TUNE …………………… FADE OUT
उद्घोषक : (Welcome + Recap + Intro) । श्रोताओं नभस्काय। पवऻान ये डडमो धायावाहहक भें
आऩका एक फाय फपय से स्वागत है । आज की कडी भें हभ फात कयें गे कुदयत की उस फेरूखी
की...जजसकी वजह से हभ सबी को कापी भुजककरों से जूझना ऩडता है रेफकन इसका सफसे फडा
खामभमाजा फकसानों को उठाना ऩडता है । जी हां... हभ फात कय यहे हैं सूखे की। अबी हभ चरते
हैं उत्तय प्रदे श के फांदा जजरे के एक गांव भें ... जहां बमानक सूखे की वजह से ऩूयी खेती-फाडी
फफाषदी के कगाय ऩय ऩहुंच गई है ।
-------------------SIGNATURE TUNE--------------------SCENE ONE
(गांव की चौपाऱ में ऱोग रे डडयो पर समाचार सुन रहे हैं / ऱोगों की बातचीत का िीमा शोर)
(िीरे -िीरे तेज़ होती हुई रे डडयो समाचार वाचक की आवाज़) : भौसभ पवबाग के ऩूवाषनुभान के
भुताबफक अगरे दो भहीनों भें साभान्म से कभ वषाष होगी। भौसभ पवबाग ने कृपष भंत्रारम को
इसके मरए एक आऩात मोजना फनाने की सराह बी दी है । फकसान बाइमों को सराह दी जाती
है फक.... (िीरे -िीरे मंद पड़ती आवाज़)
समरे न्द्र् हहभानी जी, सयऩंच होने के नाते आऩ तो जानती ही हैं फक पऩछरे सार हभाये जजरे भें
बफल्कुर बी फारयश नहीं हुई थी। भैंने फैंक से रोन रेकय पसर फोई थी। रोन का एक फडा
हहस्सा तो खाद खयीदने भें ही खचष हो गमा। (मायूस भरे रवर में ) कुआं खद
ु वाने के मरए दस
ू या
रोन मरमा... कुआं खद
ु वामा बी रेफकन ऩानी नहीं ननकरा। फारयश न होने से ऩयू ी पसर सूख
गई। भै रोन बी नहीं चक
ु ा सका। .. अफ ये डडमो कह यहा है फक इस सार बी फारयश नहीं होगी।
भैं तो ऩयू ी तयह ननयाश हो चक
ु ा हूं।
हहमानी् सभये न्र बाई, ऐसा नहीं है फक मसपष आऩ ही कजष भें डूफे हो। ज्मादातय गांववारों की
मही हदक्कत है । जजससे बी फात कयो, सबी मही कह यहे हैं।
समरे न्द्र् अफ आऩसे क्मा कहें सयऩंच जी, घय की ऩये शानी तो हभें ही दे खनी है ना...भैं तो अबी
चरा अऩने घय। (िीरे -िीरे दरू जाती पदचाप)
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE TWO (समरें द्र का घर)
ववमऱा् (परे शानी भरा रवर) अये कहां चरे गए थे आऩ। इतनी दे य हो चक
ु ी है । घय भें खाने का
साया साभान खत्भ होने को है । फच्चे बूखे हैं। कर क्मा होगा, कुछ ऩता नहीं।
समरे न्द्र् पवभरा भैं क्मा कय सकता हूं। फैंक औय साहूकायों से हभ ऩहरे ही कजष रे चक
ु े हैं।
ववमऱा् हे बगवान...। अफ क्मा होगा। ऐसा तो ऩहरे कबी नहीं हुआ। हभने ऩैसे न फचाकय
कापी गरती की।
समरे न्द्र् ऐसा नहीं है पवभरा। हभने अयहय औय नतर की खेती ऩय अऩना ऩैसा खचष फकमा। मह
नगदी पसर हैं। हभने सोचा था फक इससे अच्छा भुनापा होगा रेफकन इन्रदे व प्रसन्न नहीं हुए
औय फारयश नहीं हुई। हभायी ऩूयी पसर फयफाद हो गई।
ववमऱा् चचंता भत कयो। इस सार सफ अच्छा होगा। अगरी पसर जरूय फेहतय होगी।
समरे न्द्र् नहीं पवभरा, इसकी कोई उम्भीद नहीं है । भैं ये डडमो ऩय सभाचाय सन
ु कय आ यहा हूं।
उनके भत
ु ाबफक इस सार बी फारयश नहीं होगी।
करुणा्.. (झझझकते-झझझकते हुए) ऩाऩाजी... ऩाऩाजी।
समरे न्द्र् क्मा फात है करुणा। तभ
ु कुछ कहना चाहती हो क्मा ?
करुणा् हां पऩताजी, कर भैंने कारेज भें ऩयीऺा की पीस बी जभा कयनी है ।
समरे न्द्र् (मायूसी भरे रवर में ) भैं जानता हूं करुणा। भैं तो कबी ढं ग से ऩढ़ नहीं सका। फचऩन
से ही खेती भें अऩने पऩता का हाथ फंटामा। रेफकन भैंने हभेशा तम्
ु हें फेहतय मशऺा के मरए
प्रोत्साहहत फकमा है । तभ
ु चचंता भत कयो, भैं एक औय रोन रेने की कोमशश करुं गा।
करुणा : ऩाऩाजी, पीस की फात ऩय आज ज्मादा ऩये शान भत होइमे...। कुछ ना कुछ इंतजाभ
जरूय हो जाएगा।
(कुछ दरू से आती आती आवाज़ / िीरे -िीरे तेज होती हुई) : ऩोस्टभैन, ऩोस्टभैन....
करुणा : आ यही हूं अंकर.....आ यही हूं।
पोरटमैन् सभये न्र जी के मरए चचट्ठी आई है ।
करुणा : ठीक है , भैं ऩाऩाजी को दे दं ग
ू ी.......
(पेज पऱटने /धचट्ठी खोऱने की आवाज)
समरे न्द्र् (उदास रवर) पवभरा, अफ इससे ज्मादा औय क्मा होगा..........। फैंक ने ऩुयाना रोन
चक
ु ाने का नोहटस बेजा है । वे नमा रोन नहीं दें गे।
ववमऱा् ओह मह तो फहुत फुया हुआ। अफ हभ क्मा कयें गे। ऐसे भें तो अफ सयकाय से ही कुछ
उम्भीदें हैं।
समरे न्द्र् सयऩंच जी ने फतामा था फक सयकाय सूखे को रेकय कापी गंबीय है । हभाया गांव सूखे
से सफसे ज्मादा प्रबापवत गांवों भें से एक है । जल्द ही एक कभेटी हभाये गांव का दौया कये गी। वे
हभाये ब्राक के कुछ औय गांवों भें बी जा सकते हैं।
ववमऱा् भुझे कुछ भदद की उम्भीद है ।
समरे न्द्र् अगय ऐसा नहीं हुआ तो, भेये ऩास खद
ु कुशी के अरावा औय कोई चाया नहीं है ।
ववमऱा् हे बगवान। ऐसा भत फोरो। अऩने ऩरयवाय के फाये भें सोचो। अगय आऩ ऐसा कदभ
उठाते है तो हभ सफ अनाथ हो जाएंगे। हभें हभेशा अच्छे हदनों की उम्भीद कयनी चाहहए।
समरे न्द्र् तुभ हभेशा आशावादी यहती हो। तुम्हायी फातों से भुझे नई उम्भीद जगती है । भैं जया
ऩंचामत कामाषरम होकय आता हूं। सयऩंच जी ने फुरामा है , वे सूखे के फाये भें कुछ फताने वारी
हैं।
---------------SCENE TRANSITION MUSIC --------------
SCENE THREE
(गांव की चौपाऱ / ऱोगों की बातचीत का िीमा शोर)
हहमानी् बाइमो, हभने कभेटी के साभने अऩनी सबी सभस्माओं को यखा। कभेटी ने हभाये ब्राक
के कुछ औय गांवों का बी दौया फकमा था। भैंने सुना है फक कभेटी ने अऩनी रयऩोटष सयकाय को
सौंऩ दी है । आज याज्म सयकाय की कैबफनेट फैठक हुई है , जजसभें कुछ घोषणाएं बी हो सकती हैं।
ये डडमो ऩय सभाचायों का वक्त हो यहा है । सफसे ऩहरे आकाशवाणी के सभाचाय सन
ु रेते हैं।
रे डडयो की आवाज : (िीरे -िीरे तेज होती हुई) सयकाय ने सूखे की सभस्मा से ननऩटने के मरए
कदभ उठाने शुरू कय हदए हैं। कभजोय भानसून के प्रबाव को कभ कयने के मरए केन्र सयकाय
ने प्रधानभंत्री कृपष मसंचाई मोजना के तहत 20 याज्मों व केन्रशामसत याज्मों को इस वषष के मरए
धन आवंहटत फकमा है । (िीरे -िीरे मंद पड़ती हुई)
हहमानी् आऩ रोगों ने सभाचाय सन
ु ा। केन्र सयकाय ने पवमबन्न याज्मों भें ऩड यहे सख
ू े की
जस्थनत को भहसस
ू फकमा है । कर भैंने अखफाय भें ऩढ़ा था फक दे श के 219 जजरे सख
ू े से
प्रबापवत हैं। भौसभ पवबाग के अनुसाय 12 याज्मों भें साभान्म से 20 प्रनतशत से बी कभ
भानसून की फारयश हो यही है । हभाया ब्राक ऩहरे से ही कभ फारयश के कायण गंबीय सूखे की
जस्थनत से जूझ यहा है ।
समरे न्द्र् याज्म सयकाय बी कुछ कये गी क्मा ?
हहमानी् हभायी सयकायी बी जरूय कोई कदभ उठाएगी। भुझे उम्भीद है फक कैबफनेट भें कोई
पैसरा जरूय मरमा गमा होगा।
समरे न्द्र् भुझे बी ऩूया बयोसा है फक याज्म सयकाय हभायी सभस्मा दयू कयने के मरए जरूय आगे
आएगी।
हहमानी : अये बाई.. जया ये डडमो की आवाज़ तो फढ़ाओ।
रे डडयो की आवाज़ : याज्म सयकाय ने बमंकय सूखे की चऩेट भें आए कई ब्राकों को चचजननत
फकमा है । सयकाय ने सबी प्रबापवत ब्राकों भें याहत उऩाम कयने के ननदे श जजराचधकारयमों को
हदए है । जल्द ही सयकाय एक दस
ू यी टीभ बेजेगी, जो फकसानों से फातचीत कय सूखे से हुए
नुकसान की जानकायी रेगी। (समाचार की आवाज़ िीरे -िीरे मंद पड़ती हुई)
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE FOUR
(गांव की चौपाऱ / ऱोगों की बातचीत का िीमा शोर)
सूरज :
(भाषण दे ने के अंदाज़ में ) सबी फकसान बाइमों का स्वागत है । सफसे ऩहरे भैं अऩना
ऩरयचम दे दं .ू .. भैं सूयज... महां का तरसीरदाय हूं। आऩ तो जानते ही हैं फक इस सार जजन
इराकों भें सफसे ज्मादा सूखा ऩडा है , उनभें हभाया ब्राक बी शामभर है । आज हभाये साथ कुछ
पवशेषऻ बी आमे हैं जो सूखे के भसरे ऩय आऩकी शंकाओं को दयू कयें गे। हभाये फीच कृपष
वैऻाननक श्री नयें र जी बी हैं औय भौसभ पवऻानी श्री रता जी बी हैं।
हहमानी : आऩक स्वागत है सय.... रेफकन हभ रोग फेहद गंबीय सभस्माओं का साभना कय यहे
हैं। महां के सबी फकसान फेहद भामस
ू हैं।
सरू ज : जी, भैं जानता हूं फक कुछ फकसानों ने हताशा भें खद
ु कुशी की कोमशश बी की है ... मह
जल्दफाजी है । इस तयह के कदभ नहीं उठाने चाहहए। कई कायणों से कृपष ऺेत्र भें कुछ सभस्माएं
हैं रेफकन मह स्थाई नहीं हैं। हभें हभेशा फेहतय कर की तयप दे खना चाहहए। बयोसा यखखए,
सयकाय आऩकी भदद कये गी। अचधकारयमों की एक टीभ आऩ रोगों से फातचीत कये गी। ऩये शान
भत होइए, याज्म सयकाय ने एक फडा पैसरा मरमा है । आऩके कृपष रोन बी भाप फकए जा यहे
हैं। (ककसानों की तामऱयों की आवाज.......) अफ ब्राक प्रभख
ु ऩवन जी आऩको औय जानकायी
दें गे। आइमे ऩवन जी।
पवन् नभस्ते साचथमो। हभाये ब्राक के अचधकांश फकसानों के कृपष रोन भाप हो जाएंगे। आऩ
रोग फैंकों से नए रोन रे सकते हैं तथा कृपष अचधकारयमों से सुझाव रेकय वैकजल्ऩक पसर
रगा सकते हैं।
सूरज :
दोस्तो, हभने भौसभ पवबाग भें वैऻाननक रता भैडभ को आऩसे फातचीत के मरए
आभंबत्रत फकमा है । हभ सूखे ऩय चचाष कयें गे। हभ इस प्राकृनतक आऩदा के पवषम भें औय अचधक
जानेंगे। आइमे रताजी, प्रीज़।
ऱता् नभस्काय फकसान बाइमो। आऩका ब्राक पऩछरे वषष औय इस वषष बी बमंकय सूखे की
चऩेट भें है । सयकाय ने पवमबन्न आऩदाओं के फाये भें रोगों को जागरूक कयने का काभ शुरू
फकमा है । आऩका ब्राक सूखे की जस्थनत से जूझ यहा है । आऩ सबी को आऩदाओं के फाये भें ऩता
होना चाहहए। महद हभें आऩदा से ननऩटने की तैमारयमों, फचाव आहद के पवषम भें जानकायी होगी,
तो हभ अऩना संबापवत नुकसान कभ कय सकते हैं।
पवन् भैडभ, हभाये फकसान कजष के फोझ से दफे हुए हैं, जजससे वे तनाव भें हैं। हभाये भवेशी बी
सुयक्षऺत नहीं हैं। फकसान फेहद हताश हैं।
सूरज :
आऩ बफल्कुर सही कह यहे हैं प्रभुख जी। हभने मह फैठक फकसानों के भनोफर को
फढ़ाने के मरए ही फुराई है । उन्हें सूखे के सबी ऩहरुओं के संफंध भें जानकायी होनी चाहहए।
हहमानी् सफसे ऩहरे तो हभें मह फताइए फक सूखा आखखय होता क्मा है ?
सूयज :
आऩके इस प्रकन का उत्तय रता भैडभ दें गी।
ऱता् सयऩंच जी, आऩका प्रकन कापी अच्छा है । वैसे सूखे की कोई सटीक ऩरयबाषा नहीं है ।
आभतौय से फकसी ऺेत्र पवशेष के वामभ
ु ंडर, सतह मा बज
ू र भें कापी रंफे सभम तक ऩानी की
कभी हो जाए तो उसे सूखा कहा जाता है । सख
ू ा कुछ भहीनों मा सारों तक बी ऩड सकता है ।
पवन् भैडभ, सख
ू ा ऩडने के क्मा कायण हैं ?
ऱता् इसका कोई एक कायण नहीं, फजल्क अनेक कायण हैं। फारयश की कभी, शष्ु क भौसभ, अर
नीनो, भानवीम गनतपवचधमां औय जरवामु ऩरयवतषन इसके प्रभख
ु कायण हैं।
पवन् आऩने फतामा फक सूखे के मरए अर-नीनो बी जजम्भेदाय होता है । मह अर-नीनो क्मा है ?
ऱता् अर-नीनो भौसभ की एक पवशेष ऩरयजस्थनत है ... जो फक प्रशांत भहासागय के ऩव
ू ी बाग
मानी दक्षऺण अभेरयका के तटीम हहस्सों भें सभर
ु की सतह ऩय ऩानी का ताऩभान फढ़ने के कायण
ऩैदा होती है । सोरहवीं सदी भें दक्षऺण अभेरयका के भछुआयों ने प्रशांत भहासागय भें कबी-कबाय
हदखने वारी गभष ऩानी की भौजद
ू गी को अर नीनो नाभ हदमा था। गभष ऩानी हदखने की मे
घटना आभतौय से हदसंफय भाह के आसऩास नजय आती आती है।
हहमानी् अच्छा, रेफकन मह अर-नीनो सख
ू े के मरए कैसे जजम्भेदाय है ?
ऱता : अर-नीनो के दौयान भध्म औय ऩजकचभी प्रशांत ऺेत्र भें व्माऩारयक हवाएं कभजोय ऩड जाती
हैं। अर-नीनो की वजह से दक्षऺणी अभेरयका भें सभुर की सतह का ताऩभान फढ जाता है । सभुर
के इस गभष ऩानी की वजह से वातावयण भें ननकरी ढे य सायी ऊजाष ऩूयी दनु नमा के भौसभ को
प्रबापवत कय दे ती है ।
हहमानी् तो क्मा मह केवर अभेरयकी भहाद्वीऩ को प्रबापवत कयता है ?
ऱता : नहीं सयऩंच जी, मह सही नहीं है । कभ दफाव की वजह से दक्षऺणी प्रशांत भहासागय भें
वषाष का ऩैटनष फदरता है , जजससे दनु नमा के अन्म हहस्सों भें बायी सूखा औय फाढ़ की जस्थनत फन
जाती है । इस तयह दे खें तो अर-नीनो फकसी एक जगह को प्रबापवत कयने वारी घटना नहीं है
फजल्क इसका असय कयीफ-कयीफ आधी दनु नमा ऩय ऩडता है। अर-नीनो के आने से हभाये दे श भें
सूखा ऩडता है । इस सार बी कुछ ऐसा ही हो यहा है ।
पवन् धन्मवाद रता जी, अफ कुछ सभझ भें आमा। रेफकन इंसानी हयकतें सूखे के मरए कैसे
जजम्भेदाय हैं ? नयें र जी, एक कृपष वैऻाननक होने के नाते आऩ क्मा कहें गे इस ऩय।
नरे न्द्र्
इंसानी गनतपवचधमों भें कापी चीजें शामभर हैं। फहुत ज्मादा खेती कयना, अत्मचधक
मसंचाई औय वनों के कटान जैसी गनतपवचधमां सूखे की भुख्म वजह हैं। इन गनतपवचधमों से मभट्टी
की ऩानी को सोखने मा योके यखने की ऺभता कभ हो जाती है । आऩ जानते हैं फक बूमभ का
कटाव बी सूखे के मरए जजम्भेदाय है । वनस्ऩनतमां औय जंगरों के कटान से बूमभ का कटाव बी
फढ़ता है ।
ऱता् सूखे का एक औय प्रभुख कायण है जरवामु ऩरयवतषन। भानव गनतपवचधमों का सीधा असय
जरवामु ऩरयवतषन ऩय ऩडता है, जजसकी वजह से सूखा ऩडता है औय खेती प्रबापवत होती है ।
जरवामु भें होने वारे रगाताय ऩरयवतषन से फारयश का ऩूवाषनुभान बी भुजककर हो गमा है ।
हहमानी् रता जी, सख
ू ा फकतने प्रकाय का होता है ?
ऱता् सख
ू े से ऩडने वारे प्रबाव के आधाय ऩय सख
ू े को तीन श्रेखणमों भें फांटा गमा है ।
भेट्रोरॉजजकर (meteorological) मानी भौसभी सख
ू ा, हाइड्रोरॉजजकर (hydrological) मानी जरीम
सख
ू ा औय तीसया है कृपष संफंधी सख
ू ा। जफ एक रंफी सभमावचध तक अनभ
ु ान से कभ फारयश
होती है तो उसे भौसभी सख
ू ा कहा जाता है । मह तफ होता है जफ फकसी ऺेत्र पवशेष भें औसत से
25 प्रनतशत से कभ फारयश होती है । औसत से 50 प्रनतशत से कभ फारयश होने ऩय गंबीय सूखे
की जस्थनत फनती है ।
हहमानी् भैडभ, हभें सख
ू े के दस
ू ये प्रकायों के फाये भें बी फताइए।
ऱता् जफ जभीन की सतह मा उसके नीचे ऩानी की कभी होने से साभान्म मा पवशेष कामों के
मरए ऩानी उऩरब्ध नहीं हो ऩाता है , ऐसी जस्थनत को जरीम सूखा कहते हैं । औसत मा औसत से
ज्मादा फारयश होने के फावजद
ू कई फाय ऐसी जस्थनत आ जाती है , क्मोंफक जराशमों के ऩानी का
उऩमोग फढ़ जाता है । कृपष संफंधी सख
ू ा आभतौय से भौसभी व जरीम सख
ू े की वजह से होता है ।
ऐसी जस्थनत भें पसर तैमाय होने के सभम मभट्टी की नभी औय फारयश दोनों ही कभ हो जाते हैं,
जजससे पसर को नुकसान ऩहुंचता है ।
पवन् भैडभ, सूखा हभाये दे श के मरए नमा नहीं है । सूखे की चऩेट भें आए जजरों भें हभाया
जजरा बी शामभर है । पऩछरे सार बफल्कुर बी फारयश नहीं हुई थी, इस सार बी हभें कोई उम्भीद
नहीं है । बमंकय सूखे का खतया फढ़ता जा यहा है । हभ कापी ज्मादा तनाव भें हैं।
ऱता् प्रभुख जी, आऩ बफल्कुर सही कह यहे हैं। हभाये दे श के कई जजरे सूखे की भाय झेर यहे
हैं। अतीत भें बी बायत को कई फाय बीषण सूखे से जूझना ऩडा है । आऩ रोगों को शामद भारूभ
हो फक सन सत्रह सौ चौहत्तय (1774) भें फंगार भें अकार औय बुखभयी से कयीफ 10 राख
रोगों की भौत हो गई थी। इसके फाद फंगार भें ही सन उन्नीस सौ तैंतारीस औय चौवारीस के
दयम्मान ऩडे अकार से कयीफ तीस राख रोग प्रबापवत हुए थे।
हहमानी् भैंने सुना है फक फाय-फाय सूखे ऩडने की जस्थनतमां प्रत्मेक दशक भें फदरती यहती हैं।
क्मा मह सही है भैडभ ?
ऱता् हां, मह सही फात है । सन अठायह सौ ननमानफे (1899) से रेकय सन उन्नीस सौ फीस
(1920) के दौयान सात सार ऐसे गुजये थे जजनभें सूखा ऩडा। वहीं सन 1941 से 1965 के फीच
दे श ने मसपष तीन सार ही सूखा झेरा। सन 1965 से 1987 के दौयान दस सार सूखे के यहे ।
हहमानी् भैडभ सन 1987 औय 2002 भें क्मा खास यहा था।
ऱता् इन दोनों ही वषों भें बीषण सूखे का साभना कयना ऩडा। इन वषों भें अर-नीनो ने अऩना
प्रबाव हदखामा था। 1987 भें साभान्म की तुरना भें केवर 19 प्रनतशत ही फारयश हुई। इसी तयह
2002 भें बी ऩूये दे श भें मसपष 19 प्रनतशत ही फारयश हुई, जजससे 18 याज्मों के 30 कयोड से
अचधक रोग प्रबापवत हुए। खाद्मान्न उत्ऩादन भें बी 29 राख टन की बायी चगयावट दजष की
गई।
समरे न्द्र् भैडभ, महद भौसभ के पवषम भें सभम यहते चेतावनी जायी हो जाए तो कभ से कभ हभ
ऐसी आऩदा से ननऩटने को तैमाय तो यहें गे औय खेती भें अऩना ऩैसा नहीं रगाएंगे।
नरे न्द्र् सभये न्र जी, भैं कृपष पवबाग से ही हूं। भैं आऩकी ऩये शानी सभझता हूं। जैसा आऩने कहा,
चेतावनी कापी जरूयी है । भौजद
ू ा मसस्टभ को औय अचधक प्रबावी ढं ग से काभ कयना चाहहए।
समरे न्द्र् ठीक है नये न्र जी, रेफकन मह ऩव
ू ष चेतावनी कौन जायी कयता है ।
नरे न्द्र् सख
ू े की चेतावनी तथा ऩव
ू ाषनभ
ु ान जायी कयने की जजम्भेदायी तो बायतीम भौसभ पवबाग
के ऩास ही है । रता जी भौसभ पवबाग से हैं, वो आऩको औय अच्छे ढं ग से फता सकती हैं।
ऱता् सही कहा नये न्र जी आऩने। बायतीम भौसभ पवबाग नक्शे व आंकडे उऩरब्ध कयाता है ।
भौसभ पवबाग के ऩास ऐसा तंत्र है , जजससे वह पसर को रेकय ऩव
ू ाषनभ
ु ान औय जरवामु संफंधी
सच
ू नाएं दे ता है । फारयश के पवकरेषण के आधाय ऩय प्रत्मेक वषष भौसभी सख
ू े के पवषम भें
जानकायी उऩरब्ध कयाई जाती है । हभ रोग फेहतय ऩूवाषनुभानों के मरए उन्नत तकनीक का
इस्तेभार कयते हैं। सटीक ऩूवाषनुभानों के मरए ननममभत रूऩ से ऩूये दे श के हवाई पोटोग्राप मरए
जाते हैं।
नरे न्द्र् भानसून शुरू होने से ऩहरे औय भानसून की शुरुआत ऩय बायतीम भौसभ पवबाग ऩूये दे श
भें होने वारी कुर वषाष का ऩूवाषनुभान जायी कयता है । भौसभ पवबाग ने ऩूये दे श को 36 उऩखंडों
भें पवबाजजत फकमा है , जजसभें 2800 वषाषभाऩी स्टे शन हैं , जहां से फारयश के आंकडे एकबत्रत फकए
जाते हैं। वायाणसी, दे हयादन
ू , है दयाफाद, चेन्नई, भदयु ई जैसे कई शहयों भें भौसभ पवबाग के
केन्र हैं।
ऱता् आऩको शामद भारूभ ही होगा फक भौसभ पवबाग तभाभ जानकारयमां आकाशवाणी,
दयू दशषन औय अखफायों को उऩरब्ध कयाता है , ताफक रोग इसका राब उठा सकें।
पवन् भैडभ, बायत भें भानसून फकस तयह का होता है ।
ऱता् मह कापी अच्छा प्रकन है । सबी फकसानों को इस फात की जानकायी होनी चाहहए फक बायत
भें भानसून फकस तयह का व्मवहाय कयता है । बायत भें अचधकांश फारयश दक्षऺण-ऩजकचभ मा
गमभषमों के भानसून से होती है । दे श भें होने वारी कुर फारयश का रगबग 73 प्रनतशत वषाष इसी
भानसून से होती है । इसकी शुरुआत जून के ऩहरे सप्ताह भें बायत के दक्षऺण-ऩूवी फकनाये से
होती है औय मह उत्तय-ऩजकचभ ऺेत्र से फढ़ता हुआ जुराई के अंत तक धीये -धीये ऩूये दे श भें पैर
जाता है । मसतंफय के ऩहरे सप्ताह से बायत के ऩजकचभी व उत्तयी ऺेत्र से भानसून खत्भ होने
रगता है औय धीये -धीये मह ऩूये दे श से सभाप्त हो जाता है ।
हहमानी् भैडभ, मह उत्तय-ऩूवी भानसून क्मा होता है ?
ऱता् सयऩंच जी, उत्तय-ऩव
ू ी भानसन
ू को ऩोस्ट-भानसन
ू (post-monsoon) बी कहा जाता है ।
बायतीम प्रामद्वीऩ के तटीम ऺेत्र औय तमभरनाडु भें फंगार की खाडी भें होने वारी चक्रवातीम
हरचर के कायण अक्टूफय से हदसंफय तक फारयश होती है । इसे उत्तय-ऩव
ू ी भानसन
ू कहते हैं।
पवन् साचथमो, अफ खाने का वक्त बी हो गमा है । डामननंग हार भें सबी के मरए बोजन की
व्मवस्था है । हॉर के फाहय भौसभ पवबाग ने सूखे ऩय केजन्रत एक पोटो प्रदशषनी बी रगाई है ,
आऩ रोग खाना खाने के फाद उसे बी दे ख सकते हैं । कुछ दे य फाद फपय महीं ऩय मभरें गे हभ
सबी
(सूखे को ऱेकर बातचीत का अरपष्ट शोर ... िीरे -िीरे खत्म होता हुआ)
---------------SCENE TRANSITION MUSIC -------------SCENE FIVE
(गांव की चौपाऱ / ऱोगों की बातचीत का िीमा शोर)
सूरज :
भुझे उम्भीद है , आऩ सबी रोगों ने पोटो प्रदशषनी दे खी होगी। उन तस्वीयों से आऩको
कोई जानकायी बी मभरी क्मा ?
समरे न्द्र : हभने ऩहरे कबी ऐसी तस्वीयें नहीं दे खी। हभें सभझ भें आमा फक फंगार का अकार
फकतना बमानक था। वह वास्तव भें हदर दहरा दे ने वारा था। सूखे से फचने के मरए बायी
संख्मा भें एक स्थान से दस
ू ये स्थान ऩय ऩरामन कयने वारों की तस्वीयें बी वहां थीं। वहां
जरवामु ऩय आधारयत कुछ नक्शे व ऩोस्टय बी थे। हभें कापी जानकारयमां मभरीं।
ऱता् धन्मवाद। इस प्रदशषनी का भकसद सूखे को रेकय रोगों को जागरूक फनाना था, ताफक
आऩ रोग इस तयह की आऩदा के सभम बफना फकसी डय के उसका भुकाफरा कय सकें।
नरे न्द्र् आऩ रोगों के कोई सवार फाकी हैं क्मा ?
हहभानी् जी सय, भैं एक सवार ऩूछना चाहती हूं। सूखे ना ऩडे, इसके मरए हभ रोग क्मा कय
सकते हैं ?
नरे न्द्र् इसके मरमे हभाये सबी फकसानों को जर संयऺण औय जर संचमन की जरूयत को
सभझना चाहहए।
हहमानी् हभें इसके फाये भें पवस्ताय से फताइमे ना।
नरे न्द्र् दे खखमे, वैसे तो जर संयऺण का कामष प्राचीन कार से ही फकमा जा यहा है रेफकन अफ
फाय-फाय ऩडने वारे सूखे औय जनसंख्मा वपृ ि को दे खते हुए इस ऩय दोफाया से ध्मान हदमा जा
यहा है । फांध व जराशमों का ननभाषण कयके औय कुओं की खद
ु ाई कय ऩानी को जभा यखने की
कोमशश की जा यही है ।
हहमानी् हभ रोग अऩने स्तय ऩय ऐसी कोमशश तो कयते हैं। फारयश के दौयान छत से चगयने वारे
ऩानी को बी हभ रोग जभा कय रेते हैं।
नरे न्द्र् फहुत अच्छा। मह तो वॉटय हायस्वेजस्टं ग (water harvesting) मानी जर संचम है । इससे
बज
ू र रयचाजष होगा मानी जभीन के नीचे के ऩानी का स्तय फयकयाय यहता है । मह कापी जरूयी
है फक बज
ू र स्तय को नीचे चगयने से योका जाए। बज
ू र स्तय फनाए यखने के मरए फयसात के
हदनों भें फेकाय फहने वारे ऩानी का इस्तेभार बी फकमा जा सकता है । सयकाय ने कुछ शहयों भें
तो नए फनने वारे सबी बवनों भें वषाष जर संचम को जरूयी ही कय हदमा है ।
समरे न्द्र् खेती-फाडी औय ऩानी संयऺण के संफंध ऩय आऩ क्मा कहें गे सय ?
नरे न्द्र् कृपष ऺेत्र भें जर संयऺण कापी जरूयी है क्मोंफक ऩौधों औय जानवयों के मरए हभेशा ही
ऩानी की आवकमकता ऩडती है । यासामननक उवषयकों तथा कीटनाशकों के अत्मचधक प्रमोग से
जस्थनत कापी चचंताजनक हो गई है , क्मोंफक इससे खायाऩन है तथा बज
ू र स्तय कभ हुआ है । जर
संचम तथा रयचाजजिंग के कापी तयीके हैं। गांव भें टैंक मा ताराफों भें फारयश का ऩानी जभा
कयना इसका एक साभान्म तयीका है ।
हहमानी् हभाये गांव भें बी एक फडा टैंक है रेफकन फारयश न होने से अफ वह सूख गमा है ।
ऱता् सूखे के हदनों भें ऐसा हो ही जाता है । याजस्थान, भध्म प्रदे श, बफहाय आहद याज्मों भें ऩानी
को जभा कयने का बी मही तयीका है । याजस्थान भें फहुत कभ फारयश होती है , फपय बी वहां
रोगों ने फारयश के ऩानी को इकट्ठा कयने का प्रफंध फकमा है । इसी वजह से वो फेहद कहठन
ऩरयजस्थनतमों भें बी वहां यह रेते हैं। इस तयह इकट्ठा फकमा हुआ ऩानी भानसून के फाद पसर के
काभ आता है ।
हहमानी् सय, भैंने ये न गन (rain guns) के फाये भें सुना है । हभाये मरए इनका क्मा उऩमोग है ?
नगेन्द्र् ये न गन भें ऩम्ऩ से ऩानी को खींचकय फकसी खेत भें फारयश जैसा नछडकाव फकमा जाता
है । ये न गन का उऩमोग कयने से ऩानी की फचत होती है । सूख के सभम मा जफ ऩानी की
उऩरब्धता कभ होती है , तफ मह कापी पामदे भंद है । सयकाय छोटे फकसानों को सजब्सडी भें ये न
गन उऩरब्ध कयाती है ।
पवन् ऩानी के संयऺण के मरए जरूयी है फक रोग बी ऩानी को रेकय अऩने नजरयए औय अऩनी
आदतों भें फदराव राएं। चाहे वो एक फूंद ऩानी ही क्मों न हो, हभें ऩानी की फफाषदी नहीं कयनी
होगी। हभें मसपष अऩनी जरूयत बय का ऩानी इस्तेभार कयना चाहहए। दांत साप कयते सभम मा
फपय भुंह धोते सभम हभें ऩानी को फहते हुए नहीं छोडना चाहहए।
नरे न्द्र् मह आऩने फहुत अच्छी सराह दी प्रभुख जी। वैसे तो हभाये गांवों भें ऩानी को रेकय
जागरूक रोगों की बी कभी नहीं है , रेफकन ऐसे रोगों के सभूह फनाकय जर संयऺण व
जरसंचम का प्रचाय कयने की जरूयत है ।
पवन् वो तो ठीक है सय, रेफकन सूखे ने तो सबी फकसानों की कभय तोड दी है । सबी फकसान
संकट भें हैं। वे रोन चक
ु ाने भें असभथष हैं। फकसान हताश हो चक
ु े हैं। सयकाय को फकसानों के
फचाव के मरए तयु ं त साभने आना चाहहए तथा उन्हें तत्कार याहत दे नी चाहहए।
नरे न्द्र् सयकाय ननजकचत रूऩ से फकसानों की भदद कये गी। एक कृपष अचधकायी होने के नाते भैं
आऩको फताना चाहता हूं फक सयकाय द्वाया कई याहत उऩाम अऩनाए जा यहे हैं। आकजस्भक
पसर मोजना, याहत योजगाय, जर संसाधन प्रफंधन, खाद्म सुयऺा, टै क्स भें छूट, ऩशु चाये की
आऩनू तष जैसी कई मोजनाएं सयकाय द्वाया चराई यही हैं।
समरे न्द्र् मे आकजस्भक पसर मोजना क्मा है ?
नरे न्द्र् दे खखमे, आऩ गांव भें साभान्म रूऩ से गेहूं, धान आहद की खेती कयते हैं। इन सबी
पसरों के मरए अचधक ऩानी की आवकमकता होती है औय सख
ू े के दौयान मह पसरें नहीं हो
सकती। ऐसे भें याज्म सयकाय फकसानों को दस
ू यी पसरों का पवकल्ऩ दे ते हैं , जो पसरें सूखे की
जस्थनत का साभना कय सकें। मह मोजनाएं खयीप तथा यफी की पसर शरू
ु होने से ऩहरे अचग्रभ
रूऩ से तैमाय की जाती हैं।
हहमानी् मे तो ठीक है रेफकन हभाये फकसान कजष भें हैं औय उनके ऩास कोई आभदनी का स्रोत
नहीं है । कई फकसान वैकजल्ऩक योजगाय की तराश भें दस
ू ये ऺेत्रों भें ऩरामन कय चक
ु े हैं।
नरे न्द्र् सयकाय ने इस सभस्मा ऩय बी ध्मान हदमा है । याजस्व व दस
ू ये अचधकारयमों को ननदे श
हदए गए हैं फक प्रबापवत ऩरयवायों को याहत योजगाय उऩरब्ध कयामा जाए। तहसीरदाय साहफ
आऩको इन मोजनाओं के फाये भें जानकायी दें गे।
सूरज :
फकसी बी तयह की आऩदा ऩय ऩीडडतों की भदद को सयकाय तैमाय है । जैसे ही फकसी
जजरे मा ऺेत्र पवशेष भें सूखा घोपषत होता है , सयकाय याहत योजगाय कामषक्रभ शुरू कय दे ती है ।
इसके तहत प्रबापवतों को 5 फकरोभीटय के दामये भें योजगाय उऩरब्ध कयामा जाता है । केन्र
सयकाय इस कामषक्रभ के मरए पवत्तीम सहामता दे ती है औय साथ भें खाद्मान्न बी।
पवन् क्मा हभाये मरए केन्र सयकाय की कोई औय मोजनाएं बी हैं ?
सूरज :
हां ऩवन जी, याष्ट्रीम ग्राभीण योजगाय गायं टी मोजना के फाये भें तो अचधकांश रोगों को
जानकायी होगी ही। इस मोजना के तहत प्रत्मेक ऩरयवाय के एक सदस्म को सार भें कभ से कभ
100 हदन का योजगाय उऩरब्ध कयामा जाता है । हभने सबी ग्राभ ऩंचामत व ब्राकों को इसके
तहत काभ उऩरब्ध कयाने के ननदे श दे हदए हैं।
समरे न्द्र् भेये ऩास दो बैंस हैं रेफकन उनके मरए चाया उऩरब्ध नहीं है । भैं उन्हें बुखभयी से कैसे
फचा सकता हूं ?
सूरज : आऩ चचंता ना कयें । भवेमशमों को फचाने के मरए सयकाय चाये की आऩूनतष कये गी।
हहमानी् सय, हभाये गांव भें कुछ रोग फुखाय से ऩीडडत हैं औय कुछ दस
ू ये योगों से ऩये शान हैं।
सूरज :
हां, ऐसा अभूभन हो जाता है । सूखे के कायण दपू षत ऩानी की वजह से ऐसी जस्थनत
फनती है। सही ऩोषण न मभरने से रोगों के शयीय भें प्रनतयोधक ऺभता भें कभी हो जाती है ।
ऩानी से होने वारी भहाभायी तथा दस
ू ये संक्राभक योगों को पैरने से योकने के मरए सयकाय कदभ
उठाएगी। हभ बी सबी प्रबापवतों के मरए ननशल्
ु क चचफकत्सा मशपवयों का आमोजन कयें गे।
सरू ज :
कई याज्मों के कुछ जजरे रंफे सभम से सख
ू े की चऩेट भें हैं। सख
ू ा घोपषत होने की
जस्थनत भें याज्म सयकायें कयों को भाप कयती हैं मा उनभें छूट प्रदान कयती हैं। ब-ू याजस्व की
वसूरी औय फकसानों ऩय फकाए यामश की वसूरी ऩय योक रगा दी जाती है । इसके साथ ही
सयकाय द्वाया याहत उऩामों के तहत बफजरी तथा ऩानी के बफरों भें छूट दी जाती है । रोन को
बी नए मसये से तम कयने का कामष फकमा जाता है ।
नरे न्द्र् सयकाय अफ अऩना ध्मान सख
ू े के प्रबाव को कभ कयने ऩय केजन्रत कय यही है । इसे बी
हभें सभझना चाहहए।
सरू ज :
आऩ सही कह यहे हैं नये न्र जी। सख
ू े के प्रबाव को कभ कयने के मरए सयकाय की ओय
से रंफी अवचध के कई कामषक्रभ शरू
ु फकए गए हैं। इनभें डीऩीएऩी मानी ड्राउट प्रोन एरयमा
प्रोग्राभ, भरुबमू भ पवकास कामषक्रभ, एकीकृत जर पवकास ऩरयमोजना औय एकीकृत वनीकयण व
ऩारयजस्थनतक पवकास ऩरयमोजना जैसे कामषक्रभ शामभर हैं।
पवन् फकसान बाइमो, आऩ रोगों ने आज हभें इतना वक्त हदमा... इसके मरए आऩ सबी का
शुफक्रमा। उम्भीद है फक रता जी औय नयें र जी की फताई हुई फातों से आऩको कापी कुछ सीखने
को मभरा होगा। सूखे से ननऩटने के मरए सयकाय द्वाया की जा यही कोमशशों से बी हभ रोग
रूफरू हुए। हभें उम्भीद है फक इन जानकारयमों के चरते सबी रोग सख
ू े की सभस्मा से डयें गे
नहीं फजल्क इसका फखफ
ू ी भुकाफरा कयने को तैमाय यहें गे।
(तामऱयों की आवाज़)
हहमानी : धन्मवाद प्रभुख जी। आज की इस भीहटंग से हभ सबी रोगों को कापी पामदा मभरा
है । ऩूये गांव की ओय से भैं अऩने सबी भेहभानों का आबाय व्मक्त कयती हूं। साथ ही मे उम्भीद
कयती हूं फक अगरी फाय अच्छा भानसून आएगा औय सबी के चेहयों भें एक नई खश
ु ी होगी।
(तामऱयों की आवाज़ / िीरे -िीरे मंद पड़ती हुई)
---------------TRANSITION MUSIC -------------उद्घोषक : तो दोस्तो.. मे थी सख
ू े ऩय आधारयत आज की कडी। हभने जाना फक ऩानी की फफाषदी
को योककय हभ कुदयत के इस कहय का फखफ
ू ी भक
ु ाफरा कय सकते हैं। फारयश बरे ही हभायी
इच्छानस
ु ाय ना हो... रेफकन फारयश के हदनों भें हभ फेकाय फहने वारे ऩानी का संयऺण कयके
अऩने बपवष्म को फेहतय फना सकते हैं। पवऻान धायावाहहक की आज की कडी भें फस इतना ही।
अगरे सप्ताह हभ फपय हाजजय होंगे फकसी दस
ू यी आऩदा के पवमबन्न ऩहरुओं को रेकय... तफ
तक के मरए भझ
ु े दीजजए इजाजत। नभस्काय।
-------------------CLOSING MUSIC-----------------------
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