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एफ.एम्. रेडियो शो : ऋषभ रेडियो-एडटिव शो डवज्ञान-प्रसार आलेख: अममत कुमार ‘ओम’

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एफ.एम्. रेडियो शो : ऋषभ रेडियो-एडटिव शो डवज्ञान-प्रसार आलेख: अममत कुमार ‘ओम’
एफ.एम.् रेडियो शो :
ऋषभ रेडियो-एडटिव शो
डवज्ञान-प्रसार
आलेख: अममत कुमार ‘ओम’
समन्वय: श्री मनममष कपरू
रे डियो शो : ऋषभ रे डियो एडटिव शो
पात्र-पररचय :
ऋषभ: मकसी FM Radio Station का Radio Jocky
डॉ.एस.के .मैथ्य:ू 35-40 वषष के एक परमाणु वैज्ञामनक, जो मक इस रे मडयो शो में मवषयमवशेषज्ञ गेस्ट के तौर पर बल
ु ाए जाते हैं हैं
सोनम: 20-25 वषष की यवु ती
शालू: 20-25 वषष की यवु ती
चन्दन: 25-26 वषष का यवु क
सत्रू धार: गंभीर आवाज़ का व्यमि ममहला/परुु ष
सार संक्षेप :
संगीत १
(एक एफ.एम्. रेडडयो स्टेशन आई.डी. जैसा संगीत)
संगीत २
(फफर फकसी रेडडयो प्रोग्राम के डसग्नेचर-ट्यून जैसा संगीत बजता है)
सुपर इम्पोज़
आर.जे.ऋषभ : नमस्कार ! गुड मोर्ननग ! खुशामदीद !
बच्चे, बूढ़े और जवान ! अम्मा जी, बहन जी, भाभी जी अ.अ...और मेरी दोस्त लोग भी!
हो जाईए तैयार, बांध लीडजए अपनी कमर पेटी क्योंफक शुरू हो गया है आपका अपना
शो “ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो” !
आर.जे.ऋषभ : (थोड़ा आवाज़ बदल कर) इस शो का नाम “ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो” ?
आर.जे.ऋषभ : जी हााँ ! “ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो” ! क्योंफक इस प्रोग्राम में रहता हाँ मैं ‘एडक्टव’| इस
शो में आनेवाले गेस्ट ‘एडक्टव’ और पूरे समय रहता है आपका रेडडयो-सेट ‘एडक्टव’
(पॉज़) और रहते हैं आप भी ‘एडक्टव’!
आर.जे.ऋषभ : (थोड़ा आवाज़ बदल कर) आप भी एडक्टव ?
आर.जे.ऋषभ : जी हााँ, आप ‘एडक्टव’ ! क्योंफक आपके फ़ोन-काल्स, आपके एस.एम्.एस. और आपके
ई.मेल्स आते हैं एस प्रोग्राम में !आपके फीडबैक, आपके सवालों, आपके बातचीत के
डबना ये शो डबलकु ल अधूरा है | वैसे ! जैसे
– डबना नमक की दाल, जैसे डबना मसाले
की सब्ज़ी, जैसे डबन चीनी की डमठाई !
आर.जे.ऋषभ : (थोड़ा आवाज़ बदल कर) अच्छा ! तो अब मैं समझा, इस शो का नाम ऋषभ रेडडयो
एडक्टव शो क्यों है !
आर.जे.ऋषभ : न जी न ! अब भी आप नहीं समझ सके फक हमारे इस शो का नाम ऋषभ रेडडयो
एडक्टव शो क्यों है !क्योंफक इसकी कु छ वजहें तो आपको अब तक हमने बताई ही नहीं
हैं! जानना चाहते हैं तो सुडनए : एक तो ये फक हमारा ये रेडडयो प्रोग्राम ‘एडक्टवली’ ढेर
सारी गडतडवडधयों से भरा है – इस प्रोग्राम में हम आपसे बातें करेंगे,गप्पें लड़ाएंग,े
आपके पूछे गए सवालों का जवाब भी देंगे | इसके डलए हमारे ख़ास डवशेषज्ञ-मेहमान
भी हैं स्टूडडयो में | इसके अलावा आपके मनोरंजन का भी ख़ास ख़याल रखा है हमने |
आज के शो में हम आपको सुनवाएाँगे कु छ चुडनन्दा आईटम सांग्स | आपसे फ़ोन पर बातें
भी करेंगे, आपके एस.एम्.एस. का जवाब भी देंगे !
लेफकन-लेफकन-लेफकन सबसे पहले आज के शो का सब्जेक्ट तो आपको बता दूं !
क्योंफक आज का डवषय बहुत महत्वपूणण है |
आज का डवषय है “रेडडयो एडक्टडवटी” |
चौंक गए न ? चौंफकये नहीं जनाब, इस ‘ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो’ में हम चचाण करेंगे
साइं स के उसी टॉडपक का डजसका नाम है “रेडडयो-एडक्टडवटी”|
रेडडयो एडक्टडवटी का नाम आते ही आपके फदमाग में बातें आते होंगी : परमाणु
बम का, एटॉडमक ररएक्टर का, रेडडयम का, यूरेडनयम का..... और न जाने क्या-क्या|
आज हम इसी रेडडयो एडक्टडवटी के ढेरों राज़ से पदाण उठाएाँगे| इस ‘ऋषभ रेडडयो
एडक्टव शो’ को सुनने के बाद आप जान पाएाँगे रेडडयो एडक्टडवटी से जुड़े लगभग तमाम
सवालों के जवाब जो आपके मन में कौंध रहे हैं|
आपके सवालों के जवाब देने के डलए आज हमारे साथ हैं सब्जेक्ट एक्सपटण के
रूप में डॉ एस.के .मैथ्यू, जो फक पेशे से एक साइं रटस्ट हैं और एस रेडडयो एडक्टडवटी के
क्षेत्र में वषों से नाम कमा रहे हैं|
तो शुरुवात करते है उन्हीं से; डॉ मैथ्यू हमारे इस ऋषभ रेडडयो- एडक्टव शो में
आपका बहुत-बहुत स्वागत है !
डॉ मैथ्यू : थैंक्यू ! आपने शो का नाम तो बड़ा ही रोचक रखा है !
आर.जे. : थैंक्यू-थैंक्यू ! डॉ साहब तो फफर हमें बताएाँ फक रोचक डवषय रेडडयो एडक्टडवटी का क्या
मतलब है ? आडखर ये रेडडयो एडक्टडवटी क्या होती है? कृ पया हमें डवस्तार से
समझाएाँ!
डॉ मैथ्यू:
देडखये ऋषभ रेडडयो एडक्टडवटी को समझने के डलये हमें पदाथण के मूलभूत इकाई तक
जाना होगा। याडन अणु परमाणु तक समझना होगा। ये तो आप जानते हीं हैं फक दुडनया
की हर, एक वस्तु हर एक चीज फकसी न फकसी पदाथण से बनी होती हैं,
चाहे वह ठोस
हो, द्रव्य हो या गैस आफद हो। ये फकसी पदाथण या तत्व से बना होता है। तत्व अणुओं से
डमल कर बना होता है, अणु डजसे अंग्रेंजी में मॉडलक्यूल भी कहते हैं अणुओं में एटम
होते हैं। एटम याडन परमाणु। परमाणु पदाथण का सबसे छोटा रूप है, डजसमें उस पदाथण
के सभी गुण पाये जाते हैं। लेफकन परमाणु से छोटा होता है: एलेक्रान,
प्रोटोन और
न्यूरान। परमाणु इन्हीं एलेक्रान, प्रोटॉन और न्यूरोन से डमल कर बने होते हैं| डजन
एटम्स में प्रोटोन और न्यूरॉनों की संख्या बराबर या एक डनडित अनुपात में होती है:
उन्हें डस्थर एटम कहते हैं । याडन इनका स्वरुप कभी नहीं बदलता । लेफकन कु छ एटम्स
ऐसे होते हैं डजनमे न्यूरॉंस की संख्या प्रोटोंस से कहीं ज्यादा होती है। इनमें
से कु छ
अनस्टेबल या अडस्थर परमाणु होते हैं । ये डस्थरता प्राप्त करने के डलए कु छ पार्टटकल्स
(कण) या इलेक्रोमैग्नेरटक फकरणें लगातार डनकालते रहते हैं जब तक की वे डस्थर नहीं
हो जाते। ऐसे एटम्स वाले तत्वों को रेडडयोएडक्टव पदाथण कहते हैं,
और इन एडमशन्स
की प्रफिया को रेडडयो एडक्टडवटी कहते हैं।
आर.जे.ऋषभ: अच्छा अब मैं समझा फक ये रेडडयो एडक्टडवटी आडखर है क्या? कई फदनों से मैं अपने
इस शो की डस्कप्ट डलख रहा था,
रेडडयो एडक्टडवटी-रेडडयो एडक्टडवटी-रेडडयो
एडक्टडवटी ! लेफकन आज मैं इसे ठीक तरीके से समझ पाया। अच्छा मैं एक बात और
जानना चाहता हाँ फक रेडडयो एडक्टडवटी और न्यूडक्लयर एनजी में क्या सम्बन्ध है ?
डॉ मैथ्यू: नाभकीय ऊजाण उत्पन्न करने के डलए दो डवडधयााँ हैं; एक परमाणु-संलयन और दूसरा
परमाणु-डवखंडन| प्रयोगशाला में परमाणु-संलयन करना अब-तक सम्भव नहीं हो पाया
है, इस डवडध से सूयण ऊष्मा पैदा करता है | दूसरी डवडध है ‘परमाणु-डवखंडन’ | इसी
डवडध द्वारा परमाणु ऊजाण पैदा की जाती है | ‘परमाणु-डवखंडन’ से परमाणु ऊजाण उत्पन्न
करने के डलए कु छ ख़ास रेडडयो एडक्टव आइसोटोप्स जैसे फक यूरेडनयम-238 अफद
उपयोग में लाया जाता है | लेफकन सभी ‘रेडडयो-एडक्टव तत्वों’ का उपयोग परमाणु
ऊजाण उत्पन्न करने के डलए नहीं फकया जा सकता है |
आर.जे.ऋषभ: अच्छा डॉ. मैथ्यू अभी आपने बताया फक रेडडयो एडक्टव पदाथो के अन्स्टेबल एट्मम्स्
डस्थरता प्राप्त करने के डलये लगातार कु छ पार्टटकल्स् या रेज़ डनकालते रहते हैं !
डॉ मैथ्यू: जी हााँ,
ऋषभ !
आर.जे.ऋषभ: तो ये कौन से पार्टटकल्स् और रेज होते हैं ?
डॉ मैथ्यू: पार्टटकल्स में एल्फा - जो पॉडजरटवली चाज्डण होते हैं और बीटा जो पोडजरटव और
नेगेरटव दोनों हो सकते हैं और रेज़ में - गामा रेज,
एक्स –रेज आफद होते हैं | ये सब
अदृश्य होते हैं |
(तभी फोन की घंटी बजती है)
आर.जे.ऋषभ: लगता है फकसी डलस्नर का फोन आ गया ।
हैलो ! ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो में आपका स्वागत है।
सोनम: जी मैं सोनम बोल रही हाँ ।
आर.जे.ऋषभ: कै सी हैं सोनम आप?
सोनम: मै डबल्कु ल ठीक हाँ । ऋषभ आपका यह शो बेहद उपयोगी और मजेदार है।
आर.जे.ऋषभ: थैन्क्यू-थैन्क्यू ! तो क्या आप आज के सब्जेक्ट या रेडडयो एडक्टडवटी से ररलेटेड कोई
सवाल पूछना चाहेंगी?
सोनम: अरे हााँ ! मैं डॉ मैथ्यू से जाना चाहाँगी फक इस रेडडयो एडक्टडवटी के क्या लाभ हैं इसका
उपयोग फकस तरीके से फकया जाता है?
आर.जे.ऋषभ: डॉ साहब.... !
डॉ मैथ्यू: जी हााँ सोनम रेडडयो एडक्टडवटी प्रकृ डत का एक अद्भुत अजूबा है,
डजसका डवज्ञान कई
तरीके से उपयोग करता है। इसका उपयोग न्यूडक्लयर एनजी के रूप में होता हैन्यूडक्लयर ररयेक्टसण में। इसकी मदद से डबजली पैदा की जाती है,
बड़े-बड़े पानी के
जहाज या पन्डु डब्बयां भी चलायी जाती हैं। इसके अलावा इसका महत्वपूणण उपयोग
डचफकत्सा के क्षेत्र में फकया जाता है | डचफकत्सा के क्षेत्र :- मेडडकल रेडडयोग्राफी,
रेडडयेशन थेरेपी, न्यूडक्लयर मेडडडसन स्कैं स, मेडडकल उपकरणों का स्टलाणइजेशन, रोगों
का इलाज़ में इसका उपयोग फकया जाता है।
इसके अलावा जहााँ एक्स रे शरीर के
डवडभन्न भागों का एक्स- रे और सी टी स्कै न करने में प्रयोग फकया जाता है; वहीं गामा
रेज : न्यूडक्लयर मेडडडसन स्कै न में काम आती हैं और बीटा पार्टटकल्स: थायराइड स्कै न
और थायराइड के उपचार में काम आते हैं। एल्फा पार्टटकल्स का भी ट्यूमसण के इलाज में
उपयोग डलया जाता है।
डचफकत्सा क्षेत्र के अलावा इसका उपयोग फकसी पुरानी चीजों के आयु डनधाणरण
में भी फकया जाता है। बेहद पुरानी चीजों की सटीक आयु डनधाणरण कर हम उसके
इडतहास के बारे में झााँक सकते हैं। इसकी मदद से प्राचीनतम फाडसल्स् पेड़-पौधे या
जानवर आफद के बारे में पता लगा सकते हैं फक - ये कौन से काल के थे।
आर.जे.ऋषभ: अरे वाह् डॉ मैथ्यू ये तो बड़े काम की चीज है।
डॉ मैथ्यू: हााँ डबल्कु ल !
आर.जे.ऋषभ: हम लोगों ने डवज्ञान की तो बहुत से बातें कर लीं अब इसके साथ कु छ मनोरंजन हो
जाये तो मजा आ जाये, क्यों डॉ साहब?
डॉ मैथ्यू: जरूर,
डवज्ञान के साथ मनोरंजन याडन सोने पर सुहागा।
आर.जे.ऋषभ: तो सुडनये ये सॉंग -----।
(सॉंग)
डॉ मैथ्यू:
भई ऋषभ गाना तो आपने बहुत मजेदार सुनाया, जोश आ गया।
आर.जे.ऋषभ: आडखर प्रोग्राम कौन सा है? ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो ! अच्छा डॉ मैथ्यू गाने के दौरान
मैं ये सोच रहा था फक रेडडयो एडक्टडवटी की खोज फकसने की। इसे खोजा कै से होगा?
डॉ मैथ्यू: सबसे पहले मैं बता दू,ाँ वैज्ञाडनक एंटोनी हैनरी बैक्यूरेल (Antoine Henri Becqerel)
ने इस रेडडयो एडक्टडवटी प्रफिया को अपने प्रयोग द्वारा देखा।
आर.जे.ऋषभ: अच्छा ये एंटोनी हैनरी बैक्यूरेल (Antoine Henri Becqerel) कहााँ के वैज्ञाडनक थे?
डॉ मैथ्यू: ये फ़्ांस के थे। इनके डपता भी इसी क्षेत्र में कायण कर रहे थे। 1896 की बात है,
इन्होंने
पाया फक काले कागज में डलपटे फोटोग्राफफक प्लेट को जब Potassium Uranyl
Sulfate के नीचे लाया गया तो उनके फिस्टल के इमेज उस काले कागज से डलपटे
फोटोग्रफफक प्लेट पर उभर आये।
आर.जे.ऋषभ: जबफक होना यह चाडहये था फक उस फोटोग्राफफक प्लेट पर कोई इमेज न हो। क्योफक
वो काले कागज से डलपटा था।
डॉ मैथ्यू: हााँ डबल्कु ल क्योंफक फोटोग्राफफक फफल्म पर इमेज बनने का ये डसद्ांत है फक जब तक
प्रकाश फकसी चीज से टकरा कर उस प्लेट तक न पहुाँचे तब तक उसका डचत्र नहीं
बनेगा। और वह तो काले कागज से डलपटी हुयी थी। प्रकाश उस तक पहुाँचा ही नहीं
फफर भी उसकी तस्वीर उस प्लेट पर कै से बन गई?
तब उन्होंने पाया फक पीयूएस कु छ ऐसे रेडडयेशन भी करता है जो फक
सामान्य डबडजबल लाईट से अलग है। ऐसा ही उन्होंने यूरेडनयम साल्ट और बाद में
यूरेडनयम के साथ भी पाया।
अदृश्य प्रकाश डनकालने वाले इन पदाथो को इन्होंने “रेडडयेशन्स्एडक्टव्स” कहा।
आर.जे.ऋषभ: तो फफर रेडडयो एडक्टडवटी टमण सबसे पहले फकसने कहा?
डॉ मैथ्यू: वैज्ञाडनक एंटोनी हैनरी बैक्यूरेल (Antoine Henri Becqerel) के बाद मैंडम क्यूरी ने
इस घटना के डलये रेडडयो एडक्टडवटी शब्द का प्रयोग सबसे पहले फकया।
आर.जे.ऋषभ: हााँ-हााँ मैने पढ़ा है रेडडयम का अडवष्कार मैडम क्यूरी ने ही फकया है,
और नोबेल
पुरस्कार भी जीता है।
डॉ मैथ्यू: डबल्कु ल सही कहा ऋषभ आपने ! मैडम क्यूरी ने दो नोबेल पुरस्कार जीते हैं। पहला
फफडजक्स में अपने पडत डपयरे क्यूरी के साथ संयुक्त रूप में रेडडयो एडक्टडवटी के डलये
और दूसरा 1911 में कै मेस्री का नोबेल पुरस्कार रेडडयम और पोलेडनयम की खोज के
डलये।
आर.जे.ऋषभ: अरे वाह !
(तभी फोन की घंटी बजती है)
आर.जे.ऋषभ: हैलो ! आर.जे. ऋषभ डहयर !
शालू: अच्छा ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो करते-करते आप खुद रेडडयो एडक्टव हो गये?
(हाँसते हुये)
आर.जे.ऋषभ: अरे वो तो ऐसे ही, वैसे आप बोल कौन रहीं हैं?
शालू: मैं शालू बोल रही हाँ ।
आर.जे.ऋषभ: कै सा लग रहा है यह शो शालू जी ?
शालू: बेहद मजेदार और ज्ञान वधणक। कृ पया मुझे मैडम क्यूरी के बारे में कु छ और जानकारी
दीडजये। उनके बारे में और जानना है मुझे ।
आर.जे.ऋषभ: अरे वाह, आप भी जानना चाहती हैं - मैडम क्यूरी के बारे में, मैं भी जानना चाहता हाँ ।
(फ्लटण करते हुये ) हम दोनो के डवचार फकतने डमलते हैं।
डॉ मैथ्यू:
(खााँसते हुये)
आर.जे.ऋषभ: (संभलते हुये) आ हां-हां । तो आइये
2 नेकी और पूछ-पूछ! तो चडलये नोबेल लोरेट
मैडम क्यूरी के बारे में कु छ बातें हो जायें ।
शालू: थैन्क्यू !
आर.जे.ऋषभ: बेहद महान मडहला थीं मैडम क्यूरी ! क्यों डॉ मैथ्यू !
डॉ मैथ्यू: हााँ डबल्कु ल ! उन्होंने इतने कष्ट उठाकर अपने पूरा जीवन लगा फदया डवज्ञान के इस
जानकारी के डलये । ऋषभ कु छ गाना-वाना भी सुनवायेंगें या फफर डसफण बाते ही होती
रहेंगी?
आर.जे.ऋषभ: नहीं डॉ साहब, बाते तो होती रहेंगी लेफकन पहले हम गाना सुनवाते हैं आपको और
अपने श्रोताओं को।
(गाना)
आर.जे.ऋषभ: कै सा लगा गाना डॉ साहब, पसंद आया ?
डॉ मैथ्यू:
बेहद पंसद आया ।
(तभी फोन बजता है)
आर.जे.ऋषभ: हैलो ! ऋषभ रेडडयो एडक्टव शो में आपका स्वागत है।
चन्दन: ऋषभ जी और डॉ मैथ्यू को मेरा नमस्कार! मेरा नाम चन्दन है |
आर.जे.ऋषभ: नमस्ते !
डॉ मैथ्यू: नमस्कार-नमस्कार!
चन्दन: डॉ साहब ! शुरू से मैं इस शो को मैं सुन रहा हू ,
आप लोग रेडडयो एडक्टव तत्व के
लाभ, उसके इडतहास, खोज आफद की बातें तो कर रहे हैं, पर इससे होने वाले डवफकरण
के खतरे के बारे में कु छ नहीं बता रहे हैं ?
डॉ मैथ्यू: हााँ-हााँ चन्दन
! हम लोगों ने उसके लाभ के बारे में बताया अब खतरों के बारे में भी
बतायेंगें।
आर.जे.ऋषभ: (बात काटते हुये) श्रीमान् चन्दन जी, हम लोग रेडडयो एडक्टडवटी के सभी बातों को
एक-एक कर उठा रहे हैं, डवफकरण के बारे में भी चचाण होगी। और ऊपर से अभी तक
फकसी ने इसके बारे में सवाल भी नहीं फकया था। अब आप जैसे जागरूक श्रोता ने इस
सवाल को उठाया है तो आपके सवाल का जवाब भी होगा।
चन्दन: थैन्क्यू
!
आर.जे.ऋषभ: थैन्क्यू-थैन्क्यू, (फोन रखने की आवाज) तो डॉ साहब इस रेडडयो एडक्टडवटी के क्या
खतरें हैं ?
डॉ मैथ्यू: जैसा फक मैने सबसे पहले बताया था फक रेडडयो एडक्टव तत्वों से फकरणों के रूप में
लगातार ऊजाण डनकलती रहती है, डजसे डवफकरण कहते है। यह प्रफिया तब तक चलती
रहती है जब तक फक वह तत्व स्थाडयत्व प्राप्त नहीं कर लेता।
आर.जे.ऋषभ: ये रेडडयो एडक्टव तत्व फकतने समय तक पूणण स्थाडयत्व प्राप्त कर लेते हैं? मेरा मतलब है
फक फकतने सालों बाद ये रेडडयेशन करना बंद कर देते हैं?
डॉ मैथ्यू: अलग-अलग रेडडयो एडक्टव तत्वों का काल अलग-अलग होता है। ये कु छ वषो से लेकर
कु छ खरब वषो तक का हो सकता है।
आर.जे.ऋषभ: तो ये डवफकरण हम मानवों के डलये खतरनाक हैं ?
डॉ मैथ्यू: जी हााँ,
ये डवफकरण मानव, वनस्पडत और पशुओं के डलये खतरनाक हैं, डवफकरण हमारे
शरीर की कोडशकाओं पर प्रभाव डालता है । इसका सबसे ज्यादा असर डी.एन.ए. पर
पड़ता है डजससे उनमे म्यूटेशन हो जाता है । इसकी वज़ह से कैं सर,
ल्यूकेडमया जैसी
बीमाररयााँ हो सकती हैं ।
रेडडयेशन से मानवों में कैं सर होने का खतरा हो सकता है। यह डनभणर करता है
फक फकतने मात्रा में एक्सपोजर हुआ है। सबसे पहले तो त्वचा लाल हो जाती है,
फफर
बुखार, उडल्टयां, कमजोरी होती है, दस्त लग जाते हैं। बाद में पीडलया भी हो सकता है।
बाल झड़ने लगते हैं, मुाँह में छाले हो जाते हैं,
हाई ब्लड प्रेशर और डडहाइड्रेशन हो
जाता है। अडधक एक्सपोजर हो जाने से आंतें सड़ने लगती हैं। ब्लीडडग हो सकती है,
फदमाग पर असर पड़ता है और आदमी की मृत्यु तक हो सकती है। असल में अडधक
रेडडयेशन से मानव के सेल में म्यूटेशन होने लगता है डजसकी वजह से कैं सर हो सकता
है।
आर.जे.ऋषभ: पर डॉ साहब ये रेडडयेशन होता कब है ?
क्या प्राकृ डतक तौर पर अपने आप भी
रेडडयेशन होते रहते हैं?
डॉ मैथ्यू: हााँ ऋषभ ! कु छ डवफकरण वायु मण्डल में प्राकृ डतक रूप में होता है। जैसे- कॉडस्मक रेज,
एक्स्रा टेरेडस्रयल रेडडयेशन, सोलर रेडडयेशन और रेडान आफद। पर धरती पर इनकी
अडधकतम मात्रा 1 msv तक होती है जो फक मानवों के डलये सुरडक्षत हैं। इससे कोई
भी खतरा नहीं है।
आर.जे.ऋषभ: फफर रेडडयेशन का खतरा है कहााँ से?
डॉ मैथ्यू: देखो ऋषभ डवफकरण दुघणटना फकसी न्यूडक्लयर प्लांट में ररसाव या डवस्फोट से हो
सकती है । इससे डनकलने वाली फकरणे शरीर में प्रडवष्ट होकर रटश्युज़ को हाडन पहुंचा
सकती हैं। पर इसकी संभावना बहुत ही कम है क्योंफक इन्हें लेड शील््स में छु पाकर
रखा जाता है |
आर.जे.ऋषभ: डॉ साहब देडखए हमारे पास एक मेल आया है भेजने वाले हैं राघव, लखनऊ से !
ये जानना चाहते हैं फक ये फकतनी खतरनाक बात है और ये कोबाट-60 आडखर है क्या?
डॉ मैथ्यू: राघव जी! कोबाल्ट-60: कोबाल्ट का आर्टटफफडशयल रेडडयोएडक्टव रूप है। यह मूलत:
रेडडयोथेरपी में काम आता है। शरीर के डवडभन्न अंगों में कैं सर के इलाज के डलए इसका
प्रयोग होता है। इसके अलावा यह नॉन मेडडकल इस्तेमाल भी लाया जाता है ।
कोबाल्ट-60 प्राकृ डतक रूप से नहीं पाया जाता । इसे न्यूडक्लयर ररएक्टर में
कोबाल्ट-59 से न्यूरॉन एडक्टवेशन द्वारा व्यवसाडयक उपयोग के डलए बनाया जाता है।
कैं सर के इलाज के डलए इसका प्रयोग होता है। इसकी हाफ लाइफ 5.27 साल होती है।
यह नेगारोंन (नेगेरटव बीटा कण) और गामा फकरणों का एडमशन करते हुए नॉन
रेडडयोएडक्टव डनकल-60 में पररवर्ततत हो जाता है। बीटा कणों का पेनीरेशन बहुत कम
होता है, इसडलए ये त्वचा में ही एब्जोबण हो जाते हैं। लेफकन गामा फकरणों की ऊजाण
अत्यडधक होने के कारण, ये शरीर के आर पार हो जाती हैं । इससे डवडभन्न अंगों की
कोडशकाओं को हाडन होती है। इसडलए गामा फकरणों से बचाव के डलए कोबाल्ट-60 को
लेड से बने मोटी परत वाले कं टेनसण में रखा जाता है ।
हलांफक ये कोबाट-60 लेड के कं टेनर में बंद रहने से सुरडक्षत रहता है। पर इसे
खोल देने से रेडडयेशन फै ल सकता है। भारतीय परमाणु डनयामक एजेंसी ने इसके
सुरडक्षत डनपटान के डलये डनयम बनाये हैं। इन डनयमों का कडाई से पालन फकया
जाता।
आर.जे.ऋषभ: डॉ साहब अभी जापान के फु कु डशमा परमाणु डबजली घर में सुनामी के कारण हुई
दुघणटना के बारे में सुना। ये तो बड़ी खतरनाक दुघणटना है; ....तो क्या हमें अपने परमाणु
संयंत्र बंद कर देने चाडहये ?
डॉ मैथ्यू: देखो ऋषभ,
हर चीज में लाभ और हाडन दोनों होते हैं। आप ऐरोप्लेन से यात्रा करते
हो? प्लेन दुघणटना-ग्रस्त होते हैं ! आप रेन से चलते हो रेनों के भी भयानक हादसे हुये
हैं? आप बस से सफर करते हो इसमें भी दुघणटनायें होती हैं!
तो क्या हम प्लेन,
रेन, बस-कार सब बंद कर दें ?
इन परमाणु ईधन के खतरे होने के बावजूद इनसे ढेरो लाभ भी हैं। बशते इसका प्रयोग
कन्सरडक्टव मैनर में फकया जाये। परमाणु डबजली पयाणवरण और लागत की दृडष्टकोण
से हमारे डलये बेहद अनुकूल है।
आशंकायें तो हर नई चीज के साथ होती है,
लेफकन इस क्षेत्र में इतना
अनुसंधान हुआ है फक ये अब बेहद सुरडक्षत हो गया है।
आर.जे.ऋषभ: डॉ साहब आपने अभी बताया फक ये काफी सुरडक्षत है और श्रोताओं की डहम्मत बढ़ने
लगी | अभी सवेश जी का एस.एम्.एस. आया है, इन्होने पूछा है फक न्यूडक्लयर सांईस
में युवाओं को कररयर बानाने के क्या अवसर हैं ?
डॉ मैथ्यू: सवेश जी ने काफी अच्छा सवाल पूछा है ! न्यूडक्लयर सांईस के क्षेत्र में युवाओं को
कररयर बनाने के काफी अच्छे अवसर हैं |
इस क्षेत्र में आगामी दो दशकों में लगभग 100 डबडलयन डॉलर के
कारोबार होने की संभावना डवशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही है। भारत के न्यूडक्लयर
साइं रटस्ट और इं जीडनयरों को इस फील्ड में ढ़ेरों अवसर हैं । इस समय न्यूडक्लयर
एजुकेशन कु छ संस्थानों तक सीडमत हैं। न्यूडक्लयर इं जीडनयररग एजुकेशन में भारत
सरकार का डडपाटणमेंट ऑफ एटॉडनडमक एनजी की ही महत्वपूणण भूडमका है।सभी
न्यूडक्लयर पॉवर स्टेशंस के डडजाइन, कं स्रक्शन और ऑनरेशन के डलए यही जबाबदेह
है। डीएई की डवडभन्न इकाइयों के डलए मैन पॉवर ररक्वायरमेंट मुख्यत: भाभा एटॉडमक
ररसचण सेंटर के ह्यूमन ररसोसण डडडवजन द्वारा पूरी की जाती है। मैन पॉवर की जरूरत
को पूरा करने वाली एक मात्र यही एजेंसी है।
डीएई की रेडनग कोसण की अवडध एक वषण है। इं जीडनयर और साइं रटस्ट्मस का
सलेक्शन नेशनल लेवल ररटन टेस्ट और इं टरव्यू के जररए फकया जाता है। ऎसे पांच
अलग अलग रेडनग स्कू ल हैं डजनमें डशक्षण व्यवस्था रहती है। कोसण कम्पलीट करने के
बाद कैं डडडेट्मस डवडभन्न डीएई आगेनाइजेशन में शाडमल होते हैं। इं डडयन इं स्टीटयूट
ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर-आइआइटी डसडवल न्यूडक्लयर एनजी में एम.टेक और पीएच.डी की डडग्री देता है। फदल्ली डवश्वडवद्यालय ने भी न्यूडक्लयर साइं स में तीन साल
का एम टेक प्रोग्राम चालू फकया है। नेग्लेक्ड फील्ड होने के कारण रेंड प्रोफे शनल्स की
भारी कमी है।
आर.जे.ऋषभ:
डॉ साहब! ये एस.एम्.एस आया है भोपाल मध्य-प्रदेश से डगरीश का, ये
एम्.बी.बी.एस. के छात्र हैं, ये अपना कररयर न्यूडक्लयर मेडडडसन के क्षेत्र में बनाना
चाहते हैं ! ये आपसे सलाह चाहते हैं !
डॉ मैथ्यू: इस क्षेत्र में प्रवेश के डलए पहले पांच साल का एमबीबीएस कोसण पूरा करना होगा,
उसके बाद डीआरएम यानी डडप्लोमा इन न्यूडक्लयर मेडडसन कर सकते हैं या सीधे ही
न्यूडक्लयर मेडडसन में एमडी कर पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं। इसके अलावा
इमरजेन्सी न्यूडक्लयर मेडडसन यानी इं टेडसव न्यूडक्लयर मेडडसन का कोसण भी कर सकते
हैं। डीएमआरडी या एमडी इन रेडडयोडायग्नोडसस भी फकया जा सकता है।
आर.जे.ऋषभ: वाह! डॉ.साहब, आपने बड़ी यूजफु ल जानकाररयााँ दीं, इस क्षेत्र में कररयर बनाने के
संदभण में| आशा है युवाओं के डलए यह उपयोगी होगा| (तभी मोबाईल पर एस.एम्.एस.
एलटण आने की “कॉमन” सी आवाज़ गूंजती है)
डॉ. मैथ्यू! ये रेडडयो-एडक्टडवटी डवषय काफी रोचक होने के साथ-साथ
काफी डवशद भी है, इतनी चचाणएाँ हो गईं फफर भी अभी फकतने सवाल बाकी हैं; देडखये
न ये राडगनी जी का एस.एम्.एस. आया है ये जानना चाहती हैं फक क्या परमाणु
घडडयााँ ‘रेडडयो-एडक्टव डसद्ांत’ का प्रयोग कर चलती हैं ?
डॉ. मैथ्यू: जी नहीं राडगनी जी, परमाणु घडड़यों का रेडडयो एडक्टडवटी से कोई सम्बन्ध नहीं है !
Atomic Clock, atom के resonance freqencies का इस्तेमाल कर चलाई जाती
हैं | ‘परमाणु घड़ी’ का ‘रेडडयो-एडक्टडवटी’ से कोई सम्बन्ध नहीं है !
आर.जे.ऋषभ: राडगनी जी ने अच्छा याद फदलाया – ‘घड़ी’ का | वनाण मैं तो समय देखना ही भूल गया
था | .....आडखर आज का कायणिम था ही इतना रोचक! (खुद को शाबाशी देते हुए)
हमारी स्टूडडयो की घड़ी यह बता रही है फक कायणिम को समाप्त करने का समय हो रहा
है|
डॉ.साहब ! आपके यहााँ आए हमें और हमारे श्रोताओं को इतनी ज्ञानवधणक
जानकाररयााँ दी, हमारे कायणिम में तो जैसे ‘चार-चााँद’ लग गए | इस गूढ़ डवषय को
इतने सरल तरीके से समझाने और हमारी डजज्ञासाओं को शांत करने के डलए आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद!
डॉ. मैथ्यू: आपको भी धन्यवाद!
आर.जे.ऋषभ: (अब श्रोताओं की तरफ मुखाडतब होते हुए, दुगुने उत्साह के साथ) तो दोस्तों, रेडडयोएडक्टडवटी डवषय पर आधाररत ये था हमारा आज का प्रोग्राम ! यह कायणिम तैयार
फकया गया ‘डवज्ञान-प्रसार’ की ओर से| हमारा ये प्रयास आपको कै सा लगा, या डवज्ञान
के फकसी ख़ास डवषय के बारे में आप और जानना चाहते हो तो हमें डलख भेडजए अपने
पत्र| हमारा पता है:डवज्ञान प्रसार
A-50 इं डस्टटयूशनल एररया,
सेक्टर 62 नोएडा 201309 उ0प्र0-भारत.
आप हमें ईमेल भी कर सकते हैं: [email protected] पर !
आपका ये रेडडयो-दोस्त ऋषभ आपसे अब यहीं डवदा लेता है और आपको छोड़े
जाता है इस खूबसूरत गीत के साथ!
“फदल्ली रडहए, तडमलनाडु रडहए; आसाम रडहए या पंजाब रडहए...खुश रडहए,
डखलडखलाते रडहए, मुस्कु राते रडहये, आबाद रडहए!
आदाब!!!
(गीत सुपर-इम्पोज़ होता हुआ)
(जरूरत के अनुसार गीत फे ड-आउट कर लें)
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